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व्यसन मुक्ति कैंप में 30 पुलिसकर्मियों ने छोड़ा सभी प्रकार का नशा, व्यसन से पुलिसकर्मी की मृत्यु होना सबसे दुखद

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रायपुर । आप दूसरों की जान बचाते हैं तो आपकी जान की परवाह करना हमारी जिम्मेंदारी है। जो जान की परवाह किये बगैर बहादुरी से राज्य की सुरक्षा करते हैं, वे दृढ़ इच्छाशक्ति से व्यसन भी छोड़ सकते हैं। उक्त बातें डीजीपी डी एम अवस्थी ने व्यसन मुक्ति कार्यक्रम ‘नई सुबह’ के प्रथम बैच के समापन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि पिछले पन्द्रह दिनों में आप लोगों ने साबित किया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी भी बुराई को छोड़ा जा सकता है। अब आपकी जिम्मेंदारी है कि अपने कैम्प में लौटकर अन्य साथियों को व्यसनों से मुक्त करने के लिये प्रेरित करें। यहां से जो भी बातें सीखीं हैं उन्हें अपने साथियों को भी बतायें। आपका अच्छा स्वास्थ्य आपके परिवार की संपन्नता की नींव है। आपके व्यसनों में जो पैसे खर्च होते थे, अब उनकी बचत बच्चों के भविष्य के लिये करिये।
अनुकंपा नियुक्ति के लिये किसी पुलिसकर्मी की पत्नि, बच्चें जब आते है, तब बहुत ही दुखद क्षण होता है। व्यसन से मृत्यु हो जाना बेहद कष्टदायी होता है, क्योंकि इससे बचा जा सकता है। श्री अवस्थी ने कहा कि ‘नई सुबह’ कार्यक्रम के लिये उत्तर क्षेत्र का सरगुजा में और दक्षिण क्षेत्र का दंतेवाड़ा में कैम्प लगायेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में बहुत से अच्छे कलाकार हैं, उनके लिये एक आर्केस्ट्रा टीम का गठन किया जायेगा, जिससे उनकी प्रतिभाएं सामने आ सके। श्री अवस्थी ने 3री बटालियन के सेनानी प्रखर पाण्डेय एवं 7वीं बटालियन के सेनानी विजय अग्रवाल द्वारा ‘नई सुबह’ कार्यक्रम के बेहतर संचालन के लिये प्रशंसा की। पुलिसकर्मियों को व्यसन मुक्ति के लिये शपथ भी दिलायी गयी।
इनके जीवन में आयी नई सुबह :
एक जवान ने बताया कि वे 2003 में भर्ती हुए थे, इसके बाद उन्हें शराब की लत लग गयी। मेरे बच्चों एवं पत्नि ने बहुत समझाया लेकिन मेरी नशे की लत नहीं छूटी। एक साल पहले मेरा मेडिकल टेस्ट हुआ जिसमें मेरे लिवर में परेशानी सामने आयी। अभी ‘नई सुबह’ का 15 दिन कैम्प करने के बाद मेरे स्वास्थ्य में सुधार महसूस हो रहा है और पिछले 15 दिन से मैंने कोई नशा भी नहीं किया।
कोण्डागांव जिले के दादरगढ़ कैम्प में तैनात जवान ने बताया कि मेरे बहनोई बहुत शराब पीते हैं, जिससे मेरी बहन का वैवाहिक जीवन बहुत ही दुख भरा रहा है। मेरे साथ भी यही परेशानी है। कई बार शराब छोड़ने की कोशिश की लेकिन संभव नहीं हो पाया। नशे की वजह से मेरा दो बार एक्सीडेंट भी हुआ। परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर भी हो गया है। लेकिन डीजीपी सर ने जो पहल की है उससे कई परिवार टूटने से बच जायेंगे। मैने भी प्रण ले लिया है कि अब शराब को हाथ नहीं लगाउंगा।
ये कार्यक्रम हुये :
पिछले 15 दिनों में व्यसन मुक्ति के लिये योगाए मेडिटेशनए संगीतए खेलकूद के कार्यक्रम कराये गये। इसके साथ ही मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण किया गया और काउंसलिंग भी की गयी।

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