इंदौर । महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के दावे प्रदेश सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे हैं लेकिन पुलिस विभाग के आंकड़े ही इन दावों की पोल खोल रहे हैं। इंदौर में कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद अपराधों पर सख्त अंकुश लगने की बात कही जा रही थी हालांकि अपराधों पर लगाम लगा हो ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता। हर तरह के अपराधों का आकड़ा बढ़ा ही है। महिलाओं के प्रति होने वाली अपराधों की स्थिति भी यही है। अगर बात करें महिलाओं के अपहरण की तो पिछले पाँच माह के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस साल जनवरी से मई के दौरान महिलाओं के अपहरण के 265 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी इंदौर शहर में हर दिन दो महिलाओं का अपहरण किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के अपहरण के मामले में इंदौर पूरे संभाग में पहले स्थान पर है। धार दूसरे नंबर पर तथा इंदौर देहात तीसरे नंबर पर है। जनवरी 2022 से मई 2022 तक धार जिले में महिलाओं के अपहरण के कुल 206 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। वहीं इस दौरान इंदौर देहात में कुल 81 महिलाओं के अपहरण के मामले सामने आए हैं। कई मामलों में पुलिस अपहरणकर्ताओं तक पहुंच जाती है और उनको गिरफ्तार भी कर लेती है। लेकिन कुछ प्रकरण ऐसे भी हैं जिनमें पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। इसके चलते ही अपहरणकर्ताओं के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं और वे महिलाओं का अपहरण करने जैसे गंभीर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि सभी प्रकार के संसाधनों और पर्याप्त पुलिस बल के बावजूद इस तरह के गंभीर अपराधों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है। इस बारे में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र का कहना है कि इंदौर शहर की संख्या सबसे ज्यादा होने के चलते महिलाओं के अपहरण के मामले अधिक हो सकते हैं लेकिन इन मामलों में प्रदेश मेें सबसे अधिक रिकवरी इंदौर में ही हुई है। वैसे भी महिलाओं के मामलों में पुलिस संवेदनशील है। इसके लिए ऑपरेशन मुस्कान काम कर रहा है।