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पितरों की सेवा करने से संतान का होता है भला, पितृ पक्ष आज से

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रायपुर । प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी भादों पूर्णिमा से 15 दिनों तक पितृ पक्ष प्रारंभ हो रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आश्विन मास में परिवारों के मृत पूर्वज/पितर संतानों के पास धरती पर आशीर्वाद देने आते हैं। शास्त्रानुसार पितरों का तर्पण करने से जहां परिवार का कल्याण होता है वहीं पिंडदान के लिए निर्मित सामाग्री एवं नदियों तालाबों में दिये गये तर्पण से पितर प्रसन्न होते हैं। अपने पितरों के प्रति श्रद्धाभाव भक्तिभाव प्रकट करने के लिए आज से प्रारंभ हो रहे पितृपक्ष के प्रथम दिन शहर के नदी तालाबों में अपने पूर्वजों को जल तर्पण करने/पिंडदान करने के लिए लोग बड़ी संख्या में सुबह दिखाई दिये। मिली जानकारी के अनुसार 15 दिनों तक तिथिवार घरों में तालाबों एवं नदियों में सुबह सुबह घाटों पर पहुंचकर पितरों के निमित पिंडदान तर्पण का सिलसिला पितृमोक्ष अमावस्या तक जारी रहेगा। ब्राम्हणों को भोजन एवं दक्षिणा देकर लोग अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। महामाया मंदिर के पं. मनोज शुक्ला द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पितरों का ऋण उतारने का पितृपक्ष सर्वोत्तम समय है। विधिविधान से पूजा करने पर पितरों की आत्मा संतुष्ठ होकर अपनी वंशजों को आशीर्वाद देती है। गाय, कुत्तों एवं कौएं को भोजन कराने से पितरों की आत्मा संतुष्ठ होती है। ऐसी अज्ञात आत्माएं जिनके बारे में विधिविधान से मृत कर्म होने की जानकारी नहीं है अथवा ज्ञात अज्ञात आत्माओं की संतुष्ठि के लिए एवं आशीर्वाद पाने के लिए 25 सितंबर को पितृमोक्ष अमावस्या के दिन विशेष श्राद किये जाने पर उनका आशीर्वाद भी परिजनों को प्राप्त होता है।

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