Home राष्ट्रीय लाल किला अटैक के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की...

लाल किला अटैक के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई आतंकी की याचिका

86
0
4 (1)
3 (2)
2 (1)
1 (1)
8 (1)
7 (1)
6 (1)
5 (1)
12 (1)
11 (1)
10 (1)
9 (1)
16 (1)
15 (1)
14 (1)
13 (1)
20 (1)
19 (1)
18 (1)
17 (1)
24
23
22
21
28
27
26
25
32
31
30
29
36
35
34
33
40
39
38
37
4 (1) 3 (2) 2 (1) 1 (1) 8 (1) 7 (1) 6 (1) 5 (1) 12 (1) 11 (1) 10 (1) 9 (1) 16 (1) 15 (1) 14 (1) 13 (1) 20 (1) 19 (1) 18 (1) 17 (1) 24 23 22 21 28 27 26 25 32 31 30 29 36 35 34 33 40 39 38 37

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में हुए लाल किले पर हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 10 अगस्त 2011 को आतंकी अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने जुलाई 2019 को पाकिस्तानी नागरिक आरिफ उर्फ अशफाक की उस याचिका को मंजूर कर लिया था, जिसमें ओपन कोर्ट में दोबारा पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की मांग की गई, जिस पर अदालत ने इसकी अनुमति दे दी थी। हालांकि आज कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। बता दें कि आतंकी हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी आरिफ को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। 22 दिसंबर 2000 को हुए इस आतंकी हमले में तीन जवानों के साथ कई आतंकी भी मारे गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 10 अगस्त 2011 को आतंकी आरिफ को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन अब तक उसे फंदे पर लटकाया नहीं गया है। मामले की जांच की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर सुरेंद्र संड के पास थी और कश्मीर लेकर दिल्ली आए थे। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आतंकी आरिफ ने कहा था कि उसकी पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में नहीं सुनी गई थी। इसलिए यह न्याय हित में होगा अगर उसकी पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में दोबारा सुन ली जाए। सुप्रीम कोर्ट पहले ही अशफाक की फांसी की सजा पर मुहर लगा चुका है। देश की सबसे बड़ी अदालत आज दोबारा से दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाया जाएगा। यह फैसला इसलिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि दोषी की ओर से इस मामले में दोबारा पुनर्विचार याचिका तब दाखिल की गई जबकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक फैसले में यह कहा गया कि हरेक पुनर्विचार याचिका की सुनवाई ओपन कोर्ट में होनी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here