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मोदी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार की पार्टी में घमासान, शुरू हो सकती है विरासत की जंग

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नई दिल्ली । 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में जुटे नीतीश कुमार की अपनी पार्टी में घमासान बढऩे जा रहा है। पिछले कई महीनों से नीतीश कुमार-लालू यादव गठबंधन के खिलाफ सार्वजनिक रूप से लगातार बयानबाजी करने वाले जनता दल (यूनाइटेड) के असंतुष्ट नेता उपेंद्र कुशवाहा सोमवार को भविष्य की राजनीति को लेकर बड़ा ऐलान करने जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के रास्ते अलग-अलग होने जा रहे हैं, यह लगभग तय हो चुका है और अब इसका औपचारिक ऐलान मात्र बाकी है। हालांकि इस बार कुशवाहा जेडीयू से अलग होकर सिर्फ नई पार्टी ही बनाने नहीं जा रहे हैं बल्कि यह बताया जा रहा है कि वे बिहार में एक जमाने में लालू राज के खिलाफ आंदोलन करने की नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत पर भी कब्जा करने की कोशिश करेंगे।
कुशवाहा पहले की तरह इस बार सिर्फ समता पार्टी की विरासत पर ही दावेदारी नहीं जताएंगे बल्कि जॉर्ज फर्नाडीस और शरद यादव जैसे दिवंगत लोकप्रिय नेता की विरासत पर दावेदारी जताकर महागठबंधन से नाराज जेडीयू नेताओं को भी अपने पाले में लाने की कोशिश करेंगे।
अगर कुशवाहा, ऐसा कर पाते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में वे बिहार में एक बार फिर से एनडीए गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं। आपको बता दें कि कुशवाहा आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पहले भी एनडीए के सहयोगी और मोदी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले कुशवाहा ने एनडीए का साथ छोड़ कर बिहार में विपक्षी दलों के साथ मिलकर लडऩे का फैसला किया था। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने अपनी पार्टी आरएलएसपी का जेडीयू में विलय कर दिया लेकिन नीतीश सरकार में बड़ा पद न मिलने से नाराज कुशवाहा ने महागठबंधन सरकार और अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।
अब उपेंद्र कुशवाहा, सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस कर बड़ा ऐलान करने जा रहे हैं जिस पर भाजपा के साथ-साथ महागठबंधन की भी निगाहें टिकी हुई हैं। आपको याद दिला दें कि, इस बार नीतीश से अलग होने के बाद भाजपा ने पहले ही यह घोषणा कर रखी है कि वो राज्य में इस बार छोटी-छोटी पार्टियों के साथ ही गठबंधन करेंगे।

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