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अतिक्रमण व तस्करी के लिए वृक्षों की कटाई का मामला विधानसभा तक पहुंचा, लीपापोती का सिलसिला शुरू

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कोरबा । आदिवासी बाहुल्य आकांक्षी जिला कोरबा के कोरबा व कटघोरा वनमंडल में अंधाधुंध तरीके से अतिक्रमण व तस्करी के लिए किए जा रहे पेड़ों की कटाई का मामला विधानसभा तक पहुंच गया है। इस मामले में सत्तापक्ष को सदन में विपक्ष के तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा।
जिले में कोरबा और कटघोरा वन मंडल के जंगलों में अतिक्रमण व तस्करी करने के लिए वृक्षों की कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है। हालांकि यह मामले जब तक सामने आते हैं, काफी देर हो चुकी होती है। इसके बाद मामलों में लीपापोती का सिलसिला शुरू हो जाता है। छोटे स्तर के कर्मचारी और 1.2 ग्रामीण पकडक़र मामले निपटा दिया जाते हैं जबकि काटे गए वृक्षों के एवज में रिकवरी, बीट गार्ड से ऊपर स्तर के अधिकारी डिप्टी रेंजर, रेंजर, उप वन मंडल अधिकारी के ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं की जाती और ना ही उन पर कार्यवाही होती है बल्कि उन्हें बचाने के लिए रिपोर्टों से भी छेड़छाड़ कर दी जाती है।
कटघोरा वनमंडल के एतमानगर रेंज में कुछ साल पहले हुई हजारों वृक्षों की अवैध कटाई, कोसा के वृक्षों की अवैध कटाई के मामलों में आज तक लीपापोती ही हो रही है। इस मामले में की गई शिकायत पर कराई गई जांच में भी कई सारी गड़बडिय़ां सामने आई हैं। इसे लेकर लंबी-चौड़ी शिकायत की गई है और यह मामला विधानसभा में भी उठने वाला है। इससे संबंधित सवाल विधानसभा में लगाए गए हैं जिनका जवाब वन मंत्री से मांगा गया है। तत्कालीन वन मंडल अधिकारी और वर्तमान में कटघोरा डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव के इर्द.गिर्द पूरा मामला घूम रहा है औऱ अन्य अधिकारी भी इसके दायरे में आ रहे हैं। इस मामले में उच्च अधिकारी के द्वारा फिर से जांच के लिए निर्देश दिए गए हैं लेकिन दो बार पत्र भेजने के बाद भी इसे लटका कर रखा गया है। इसी तरह पसान वन परिक्षेत्र में भी पेड़ों की अवैध कटाई बड़े पैमाने पर की गई है, जिसकी जांच अभी भी जारी है। काटे गए वृक्षों को जप्त करने के साथ कीमत का आंकलन किया जा रहा है।
कोरबा वनमंडल में साक्ष्य मिटाने ठूठ तक जला दिए:- इसी तरह कोरबा वन मंडल का बालको रेंज इन दिनों सुर्खियों में है जहां सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों पेड़ और पौधे अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गए। इसमें भी 2 लोगों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर ली गई है। रेंजर, डिप्टी रेंजर, एसडीओ पर कोई जिम्मेदारी तय होती नजर नहीं आ रही जबकि जंगल की सुरक्षा और बीट की निगरानी का जिम्मा इन पर भी होता है। इनकी लापरवाही और वन सुरक्षा समिति की अनदेखी,आपसी समन्वय का अभाव के कारण बालको वन परिक्षेत्र अंतर्गत औराकछार बीट के सारंगपुर क्षेत्र में करीब डेढ़ माह से घने जंगल के भीतर पेड़ों की कटाई होती रही। पेड़ों को काटकर जलाया भी गया और बड़े क्षेत्रफल में आग लगाकर पौधों को नष्ट कर दिया गया।
लगभग 7 एकड़ क्षेत्रफल में मौजूद वृक्षों को काटने के बाद इनके ठूठ जला दिए गए। एक ग्रामीण ने बताया कि यह घना जंगल है और खेत बनाने के चक्कर में कुछ लोगों ने बड़े-बड़े वृक्षों को काट दिया। जब तक इस बात का पता वन अमले को चलाए हजारों छोट-.बड़े पौधे राख हो चुके थे। सरई, साजा, मकर तेन्दू, तेन्दू, बहेरा, बीजा आदि प्रजाति के पेड़-पौधे नष्ट हुए हैं। अतिक्रमण के लिए कटाई का यह कार्य कटघोरा वन मंडल अंतर्गत आने वाले हरदीबाजार क्षेत्र के ग्राम मलगांव के कुछ ग्रामीणों द्वारा यहां आकर करना बताया गया है।
हजारों पेड़-पौधे नष्ट हुए, जांच में 101 पेड़ काटने की गिनती:- कोरबा वनमंडलाधिकारी श्री अरविंद ने बालको रेंज के औराकछार बीट के जंगल में हुई पेड़ों की कटाई के मामले में बताया कि इसकी जानकारी होने पर जांच कराई गई। जांच टीम ने 101 पेड़ काटा जाना पाया है। एक व्यक्ति के द्वारा अतिक्रमण करने के लिए यह सब किया गया था जिसे पकड़ कर न्यायालय में पेश किया गया। उसके विरूद्ध चालान की कार्यवाही होगी। एक अन्य मुख्य आरोपी को भी पकड़ कर न्यायालय में पेश किया गया है। मामले में अभी जांच चल रही है।

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