दमोह । जिले के चंपत सिमरिया गांव में जरा सी असावधानी से एक घर के दो चिराग बुझ गए। इस गांव में बनी एक झोंपड़ी में अचानक आग लग गई। समय रहते बाहर नहीं निकाले जाने की वजह से आग में दो मासूम बच्चे जिंदा जल गए। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में अपने दोनों बच्चों को खोने वाले परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। गांव भर में मातम पसरा है। जिस किसी ने भी इन दर्दनाक मौतों के बारे में सुना, उसकी भी आंखें नम हो गई। झोंपड़ी में खेल रहे थे दोनों मासूम: मामला नरसिंहगढ़ चौकी क्षेत्र अंतर्गत चंपत पिपरिया गांव का है। स्थानीय ग्रामीण भगवान दास रावत और उसकी पत्नी झोंपड़ी बनाकर खेत के पास ही रहते हैं। रोज की तरह गत दिवस घर में बने चूल्हे पर खाना पकाकर दोनों पति-पत्नी खेत में काम करने चले गए। इस दौरान उनके दोनों बच्चे तीन वर्षीय ऋषिका और दो माह का बाबू झोंपड़ी में ही थे। इसी दौरान चूल्हे से उड़ी चिंगारी झोंपड़ी के फूस से जा टकराई। हवा से इस चिंगारी ने आग का रूप ले लिया। बचाने का मौका नहीं मिला – जब भगवान रावत ने झोंपड़ी में आग लगी देखी तो वह बच्चों को बचाने के लिए दौड़ पड़ा। लेकिन तब तक आग फैल चुकी थी। दोनों बच्चे उसकी चपेट में आ चुके थे। चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और आग बुझाने में जुट गए। घास-फूस और लकड़ी से बनी झोंंपड़ी में रुई से बने गद्दे-रजाई और कपड़ों से आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। इसी वजह से बच्चों को बचाने का मौका नहीं मिल पाया। घटना की जानकारी मिलते ही नरसिंहगढ़ चौकी से पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह अपने अमले के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने दोनों बच्चों के शव को पोस्टमार्ट के लिए भेजा। उनके परिजन को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। दमोह जिले के असावधानी के कारण आग लगने से बच्चों की मौत होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले तेंदूखेड़ा क्षेत्र में भी फसल कटाई के दौरान एक मासूम बच्ची की खेत में बनी झोंपड़ी में आग लगने से मौत हो गई थी। बटियागढ़ में भी ऐसे ही एक मामले में मासूम जिंदा जल गया था। लगातार हो रहे इन हादसों के बीच भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं।