जगदलपुर । बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर स्थित कांग्रेस भवन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना गुनाह हो गया है। उन्होंने राहुल गांधी के सजा के बारे में कहा कि राहुल गांधी ने मोदी और अदाणी के रिश्ते पर सवाल उठाया, 20 हजार करोड़ की अदाणी की शेल कंपनियों पर सवाल खड़े किए, जिसमे एक चीनी नागरिक की भी साझेदारी है, उसकी जानकारी मांगी। राहुल गांधी जब संसद के अंदर बात करते है तो उनको बोलने नहीं दिया जाता, उनका माइक बंद कर दिया जाता है, सत्तारूढ़ दल के सांसद बहुमत के अतिवादी चरित्र का प्रदर्शन करते हुये संसद की कार्यवाही नहीं चलने देते है। केंद्रीय मंत्री अपने पद की गरिमा को तार-तार करते हुये अनर्गल बयाबाजी करते हैं और जब इन सबसे भी राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की आवाज को नहीं दबा पाते तो एक और षडय़ंत्र रचा जाता है। उन्होने कहा कि राहुल गांधी विपक्ष के सबसे प्रभावशाली नेता है। जब उनकी सदस्यता रद्द कर सकते है, उनकी आवाज दबा सकते है, तब आम आदमी की क्या बिसात? यह भारत के प्रजातंत्र में तानाशाही की शुरूआत है, कांग्रेस इससे डरने वाली नहीं है। हम जनता के बीच जायेंगे देश के हर गली, मोहल्ले, चौक-चौराहे को संसद बनायेंगे।
मोहन मरकाम ने कहा कि राहुल गांधी के ऊपर कार्यवाही का एक मात्र कारण है, राहुल गांधी ने देश के प्रधानमंत्री की दुखती रत पर हाथ रख दिया है। राहुल गांधी ने दो सवाल पूछे थे, क्या अडानी की सेल कंपनियों में 20,000 करोड़ या 03 बिलियन डॉलर हैं ? अडानी इस पैसे को खुद कमा नहीं सकता क्योंकि वो इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस में है यह पैसा कहां से आया? किसका काला धन है? ये किसकी शेल कंपनियां हैं ? ये कंपनियां डिफेंस फील्ड में काम कर रही है, कोई क्यों नहीं जानता? यह किसका पैसा है ? इसमें एक चीनी नागरिक शामिल है। कोई यह सवाल क्यों नहीं पूछ रहा है कि वह चीनी नागरिक कौन है ? प्रधानमंत्री मोदी का अडानी से क्या रिश्ता है ? के बारे में दस्तावेज दिए यह सबूत के साथ सवालों का था। मोदी सरकार ने सवाल का जवाब तो नहीं दिया उल्टे राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के भाषण से अडानी घोटाले के महत्त्वपूर्ण अंश और राहुल गांधी के भाषण (लगभग पूरी तरह से) को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार एक सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा संसद को बाधित कर रही थी और इसे काम नहीं करने दे रही है। यह अडानी को बचाने के लिए एक ध्यान भटकाने की साजिश है। जबकि संयुक्त विपक्ष इस पर जेपीसी(संयुक्त संसदीय समिति) चाहता है। उन्होने कहा कि हम न्यायिक प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। आगे हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने के तीन दिन के अंदर लोकसभा के गृह समिति ने राहुल गांधी को मकान खाली करने के लिये 30 दिन का नोटिस दे दिया। यह सारी कार्यवाही यह बताने के लिये पर्याप्त है कि इस देंश में तानाशाही और असहिष्णु सरकार चल रही है।
उन्होने कहा कि भाजपा के 03 हास्यास्पद आरोपों से साबित होती है,सबसे पहले उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी ने विदेशी ताकतों से लंदन में भारत की मदद करने के लिए कहा। ये एक सफेद झूठ है। अगर कोई उनके वक्तव्यों को ध्यान से देखें, तो उन्होंने कहा कि ये भारत का अंदरूनी मामला है, हम स्वयं इसका हल निकालने में सक्षम है। दूसरा, भाजपा अब झूठा हौवा खड़ा कर रही है कि राहुल गांधी ने ओबीसी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी से एक सवाल किया था। ध्यान भटकाने का एक और बोगस हथकंडा है। जो व्यक्ति एकता फैलाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा में 4000 किलोमीटर पैदल चल सकता है, वो कैसे एक समुदाय को निशाना बना सकता है? तीसरा सूरत, गुजरात में एक निचली अदालत के फैसले के 24 घंटे के भीतर भाजपा ने राहुल गांधी को लोकसभा में उनकी सदस्यता को रद्द करने के लिए बिजली की गति से काम किया, भले ही अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया था। आज की पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ बस्तर विधायक बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, इविप्रा अध्यक्ष राजीव शर्मा, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, कांग्रेस जिला ग्रामीण अध्यक्ष बलराम मौर्य एवं अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।