बालोद । आज के युग में बेटिया किसी भी क्षेत्र में बेटा से कम नहीं है सभी क्षेत्र में बेटियाँ बेटो से आगे निकल कर पुराने ज़माने की भ्रम को तोडऩे लगी है पुराने समय में जिस व्यक्ति का संतान नहीं होता था तो उसके अंतिम संस्कार के समय चिता को अग्नि देने का बड़ा सवाल समाज में खड़ा हो जाता था, लेकिन यह सवाल खत्म हो गया है बेटा न होने पर बेटियाँ,भतीजी ही यह अब फर्ज निभा रहा है ऐसे ही एक वाकया गुरुर ब्लाक के रमतरा गाँव में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति डा0 अरुण साहू की मौत होने के बाद खड़ा हो गया। आपको बता दे कि आरुण साहू की कोई संतान नहीं है, लेकिन उनकी भतीजी(बेटी) कु नेहा ने सामाजिक कार्य में आगे आकर अपने पिता तुल्य डा0 अरुण साहू की चिता को मुखाग्नि देकर एक बेटी का भर्ज निभाया बेटी के द्वारा किये गए इस कार्य को लेकर रमतरा सहित पुरे जिले भर में बेटियाँ की प्रसंशा की जा रही है गाँव के नागरिक व छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ दुर्ग संभाग(युवा प्रकोष्ठ) संयुक्त सचिव श्री झम्मन हिरवानी ने कहा बेटियां कभी पराई नहीं होती गाँव की इस बेटी ने अपने पिता समझ कर चिता की मुखाग्नि देकर अपना धर्म निभाई है दाह संस्कार की रश्म निभाते समय आँखों में बहती आंसूओ की धार और चेहरे में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था विदित हो कि अरुण साहू गाँव के बहु प्रतिष्ठित प्रतिभा के धनि व्यक्ति थे, गायत्री शक्ति पीठ के अध्यक्ष भी थे,साथ साथ सामाजिक क्षेत्र में भी अग्रणी कार्य करते थे,डा0 अरुण साहू का कोई संतान नहीं था वह अपने भतीजी को बचपन से ही रखा था भतीजी ने जैसे ही अपने पिता की चिता में आग लगाई वहां मौजूद सबकी आँखे आंसू से डबडबा गई बता दे की रमतरा निवासी डा0 अरुण साहू का निधन दिनांक 19 अप्रैल 2023 को हो गया,उनकी भतीजी मासूम बच्ची कु नेहा साहू जिसने समाज के सामने मृत आत्मा को मुखाग्नि देकर एक पुत्री का फर्ज निभाया मृत आत्मा को शांति प्रदान करने व अंतिम संस्कार के लिए गाँव के मंगन साहू ,गिरधारी लाल हिरवानी, सुदर्शन सार्वा मिलन साहू ,चन्द्रदास साहू,परमानंद सेन सहित ग्रामीणों का जन सैलाब उमड़ पड़ा इस शोक की घड़ी में श्रद्धांजलि संतप्त प्रकट करते हुए सुदर्शन सार्वा ने कहा की समाज में अब बेटा व बेटीयाँ एक सामान है इस लिए बिटियों को किसी भी संस्कार से दूर नहीं रखना चाहिए।