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बिना वारंट गिरफ्तार करने का मामला : हाई कोर्ट ने दो लाख की क्षतिपूर्ति का दिया आदेश

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कोरबा । जिले के दो कबाड़ व्यवसाईयों को बिना वारंट गिरफ्तार किए जाने व रिमांड पर जेल भेजे जाने के मामले में हाई कोर्ट, बिलासपुर ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने सीआरपीसी के सेक्शन 41-1,डी की व्याख्या करते हुए प्रार्थियों को दो लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। साथ यह भी कहा कि गिरफ्तारी और जमानत देने के प्रविधानों का पुलिस और ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट पालन करें।
सिटी कोतवाली अंतर्गत सीएसईबी चौकी पुलिस ने कबाड़ कारोबारी मुकेश साहू और आशीष मैती को 20 फरवरी 2021 में गिरफ्तार किया था। तत्कालीन चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर कृष्णा साहू ने ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर रिमांड की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने पांच मार्च 2021 तक की अवधि के लिए रिमांड की स्वीकृति दी। दोनों व्यक्तियों ने जमानत आवेदन भी प्रस्तुत किया, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था। इसके पश्चात दोनों को हाई कोर्ट से जमानत मिली थी।
जमानत के साथ ही मुकेश और आशीष ने अधिवक्ता धर्मेश श्रीवास्तव के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि पुलिस ने मनमाने ढंग से अवैधानिक तरीके से गिरफ्तारी की है। सेक्शन 41-1, डी का दुरुपयोग करते हुए दुर्भावनापूर्वक चोरी का सामान रखने व विक्रय करने के आरोप पर बिना वारंट गिरफ्तार किया। पुलिस ने मानसिक और शारीरिक प्रताडऩा दी। इसके लिए पांच-पांच लाख रुपये में क्षतिपूर्ति की मांग याचिका में की थी। याचिका में चौकी प्रभारी कृष्णा साहू को भी पार्टी बनाया गया था। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने प्रार्थियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें क्षतिपूर्ति के तौर पर एक-एक लाख रुपये प्रदान करने का आदेश राज्य शासन को दिया है। यह क्षतिपूर्ति राशि 30 दिनों के भीतर भुगतान करने कहा है। अधिवक्ता धर्मेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा साहू ने दुर्भावनापूर्वक अवैधानिक गिरफ्तारी की थी, इस पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।

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