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जशपुर जिले के इस थाने मे चिट भी उनकी पट भी उनकी, कोरे कागज पर करा लेते हैं हस्ताक्षर, पावती मांगने के लिये दीखानी होगी हिम्मत, जमीन के मामले मे मारपीट होने के बाद भी न्यायालय जाने की दी जाती है सलाह

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जशपुर । जशपुर जिले के एक थाने में आज-कल कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस थाने मे चिट भी उनकी पट भी उन्हीं की है। पीड़ित जब थाना पहुंचते हैं तो उनके साथ पुलिस वाले अभद्र व्यवहार करने लगते हैं। इस थाने में एफ.आई. कराना आसान नहीं है।

कोई पढ़ा लिखा पीड़ित व्यक्ति जब इस थाने मे रिपोर्ट दर्ज कराने जाता है तो डांटते हुए बोला जाता है तुम्हारा मुंह नहीं है, मुंह से बताओ वहीं एक असाक्षर या कम पढ़ा लिखा व्यक्ति जब अपनी फरियाद लेकर यहां पह़ुंचता है तो उसे चमकाकर बोला जाता है जाओ किसी से आवेदन लिखा कर लाओ। ये सब हम नहीं बोल रहे हैं। इस क्षेत्र से इस प्रकार की बाते निकलकर आ रही है। सरकार कितना भी लोगो को जागरूक करे लेकिन लोगो में खाखी के डर को दूर नहीं किया जा सकता है। खाखी से डरे हूए लोग मीडिया मे सामने आकर अपनी बात नहीं रख पाते।

जशपुर जिले के एक थाने से एक नया मामला प्रकाश में आया है। यहां जब प्रार्थीया आवेदन लेकर इस थाने मे जाती है तो उससे आवेदन लेने के बाद पावती नहीं दिया जाता है। बल्कि प्रार्थीया से कोरे कागज पर पेज के अंतिम हिस्से मे हस्ताक्षर करा कर रख लिया जाता है। इस थाने मे पावती लेने के लिये आपको हिम्मत दिखानी पड़ेगी, शायद इसके बाद आपको पावती मिल जाये।

लगभग एक माह पहले इस थाने मे शरीर से कमजोर एक बूढ़ा व्यक्ति जमीन के मामले मे पीटाई खाकर थाना पहुंचा। दबंगो ने उस बूढ़े बाबा की इतनी पिटाई किये थे कि पहना हुआ कमीज कई हिस्सो में बंट गया था बाबा उसी हालत मे थाना पहुंचे थे। इस थाने में इस व्यक्ति और उसकी पुत्री को पहले खूब डांट फटकार लगाई गई। उसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भेजकर मुलाहिजा कराया गया। डाक्टर साहब ने लेख किया कि सामान्य चोट है। फिर क्या था ? उन्हें थाने से भगा दिया गया। कुछ दिन बाद धारा 155 के तहत एक कागज उस लाचार बाबा के हाथ मे थमा दिया गया। पूलिस वाले समझा दिये, ये मामला जमीन का है न्यायालय जाओ। इस बाबा ने थोड़ी हिम्मत दिखाकर जिले के पूलिस कप्तान को भी लिखित आवेदन देकर अपनी व्यथा बताई लेकिन जशपुर मे कुछ मामलो को छोड़कर जांच होती कहां है। आवेदन रद्दी की टोकरी मे डाल दिया जाता है।

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