दिल्ली। भारत सरकार की प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजना ‘अटल पेंशन योजना’ (एपीवाई) ने सफल कार्यान्वयन के पांच साल पूरे कर लिए हैं। 9 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों को वृद्धावस्था आय सुरक्षा देने और 60 वर्ष की आयु के बाद न्यूनतम पेंशन की गारंटी प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की थी। इस योजना के दायरे में 2.23 करोड़ श्रमिकों के आने के बाद भी यह योजना भारत में वृद्धजनों की तेजी से बढ़ती आबादी की चुनौतियों से निपटने के लिए नि:संदेह महत्वपूर्ण है। असाधारण तरीके से नाम दर्ज करने के अलावा, इस योजना को पूरे देश में बड़े पैमाने पर लागू किया गया है, जिसमें सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है और इसमें पुरुष के साथ महिला सदस्यता अनुपात 57:43 है।
इन पांच वर्षों में एपीवाई की यात्रा अभूतपूर्व रही है और 9 मई 2020 तक, इस योजना के तहत कुल 2,23,54,028 नाम दर्ज किए गए। इसकी शुरूआत के पहले दो वर्षों के दौरान, लगभग 50 लाख ग्राहकों के नाम दर्ज किए गए थे जो तीसरे वर्ष में दोगुने होकर 100 लाख हो गए और चौथे वर्ष में यह संख्या 1.50 करोड़ पर पहुंच गई। पिछले वित्तीय वर्ष में योजना के तहत लगभग 70 लाख ग्राहकों के नाम दर्ज किए गए थे।
अटल पेंशन योजना का प्रबंध करने वाले पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के अध्यक्ष सुप्रतिम बन्दोपाध्याय ने कहा, ‘समाज के सबसे कमजोर वर्गों को पेंशन के दायरे में लाने का यह असाधारण कार्य सार्वजनिक और निजी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों, डाक विभाग और राज्य स्तर के बैंकरों की समितियों के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ है।
एपीवाई को 18-40 वर्ष की आयु का कोई भी ऐसा भारतीय नागरिक ले सकता है जिसके पास बैंक खाता है और इसकी विशिष्टता तीन विशिष्ट लाभों के कारण है। सबसे पहले, यह 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की न्यूनतम गारंटीकृत पेंशन प्रदान करता है, दूसरी बात यह है कि ग्राहक की मृत्यु पर पति या पत्नी को आजीवन पेंशन की राशि की गारंटी दी जाती है और अंत में, दोनों ग्राहकों की मृत्यु की स्थिति में और पति / पत्नी, पेंशन की पूरी राशि नामित व्यक्ति को भुगतान कर दी जाती है।
पीएफआरडीए के अध्यक्ष सुप्रतिम बन्दोपाध्याय ने कहा ‘आगे बढ़ने पर हमारे पास पेंशन कवरेज बढ़ाने का एक विनम्र कार्य है क्योंकि अब तक पात्र जनसंख्या के केवल पांच प्रतिशत हिस्से को एपीवाई के अंतर्गत शामिल किया गया है और इस योजना के सामाजिक महत्व को पहचानते हुए, हम असाधारण वृद्धि हासिल करने के लिए लगातार सक्रिय हैं और अप्रत्याशित परिदृश्यों का समाधान करने के लिए पहल कर रहे हैं।’