जशपुर। कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने जशपुर जिले के स्थापना दिवस के अवसर पर आज कलेक्टोरेट मंत्रणा सभाकक्ष में प्रेसवार्ता लेकर जशपुर जिला के उत्तरपाषाणकाल के फर्टिलिटि कल्ट और शैल चित्र के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि यह एक प्रकार का पेट्रोगिल्फ (शैलोकीर्ण) है जो लगभग 23 हजार से 6 हजार ई.पू. का है। मध्यपाषाण काल के लघुपाषाण उपकरण ब्लेड, स्क्रेपर, पाईट इत्यादि मांदर टंगना, आरा पहाड़, पंच भैया, लिखापखना, डुंगुल पहाड़ (पिलखी ) से प्राप्त हुए है। जशपुर में नवपाषाणकालिन सेल्ट, रिंगस्टोन, चीजल, इत्यादि भी प्राप्त हुए हैं साथ ही लिथोफोनस (ठीन-ठीन पत्थर) तथा में शैलचित्र तमता, रेंगले, बगीचा, लिखाआरा एवं जयमरगा से प्राप्त हुए हैं। जिले में 23 हजार से 6 हजार ई.पू. के फर्टिलिटि कल्ट (शैलचित्र) के रूप में प्राप्त हुए हैं। पेट्रोगिल्फ या शैलोकीर्ण भी कहा जाता है। इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर आर.एन.पाण्डेय, पत्रकारगण एवं पुरातत्व संघ के सदस्य भी उपस्थित थे।
जशपुर जिला का इतिहास सूदूर अतित के गर्भ में छुपा हुआ है। कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर के मार्गदर्शन में पुरातात्विक शोधकर्ताओं की टीम खोज कर रही है। इनके द्वारा विगत तीन महीनों से जशपुर जिले का भ्रमण कर इतिहास काल के कई नई चीजें, जानकारियों एवं साक्ष्य एकत्रित कर रहे है। जशपुर जिला एक जनजातीय बाहुल्य जिला है, यहां कई जनजातियां आदिकाल से निवास करती है। उनकी कला तथा सांस्कृतिक धरोहर जशपुर जिला को विशिष्ट पहचान देती है। इसके लिए उन्होंने जशपुर जिले की पुरातात्विक चीजों को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व संग्राहालय की भी स्थापना की है। पुरातत्वविदों की टीम बालेश्वर कुमार बेसरा, अंशुमाला तिर्की, अक्षय घुमे के माध्यम से पुरातत्वकाल से लेकर इतिहासकाल तक के चीजों खोज कर प्रमाण एकत्रित किया जा रहा है जिसे पुरातत्व संग्राहलय में सुरक्षित रखा जाएगा।