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विद्युत कर्मियों ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 का काली पट्टी बांधकर किया विरोध, बिल में संशोधन से विद्युत कंपनी के निजीकरण का रास्ता हो जाएगा साफ

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अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन अंबिकापुर क्षेत्र के विद्युत कर्मचारियों ने भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 में केंद्र द्वारा प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के विरोध में सोमवार को काली पट्टी लगाकर काम किया। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिकल एम्पलाइज एंड इंजीनियर के संयुक्त बैनर तले 1 जून को विरोध प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से बिल वापस लेने की मांग की। सरगुजा संभाग के सभी जिलों में स्थित विद्युत कार्यालयों में कर्मचारियों ने काली पट्टी लगाकर काम करते हुए अपना विरोध दर्ज किया।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन के प्रांतीय सचिव जे. के. श्रीवास्तव ने बताया कि उक्त बिल में संशोधन से विद्युत कंपनी के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। और आम विद्युत उपभोक्ताओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में बिजली की दरें बहुत कम है। निजीकरण के उपरांत बिजली की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होगी और राज्य सरकार आम जनता को मुफ्त एवं कम दर पर बिजली उपलब्ध नहीं करा पाएगी। संशोधन पश्चात बिजली की न्यूनतम दर 8 रु प्रति यूनिट होने का अनुमान है जो वर्तमान दर की तुलना में लगभग दुगुनी है।
जनता यूनियन के वरिष्ठ सलाहकार जे पी पटेल ने कहा अमेंडमेंट बिल 2020 पास होने से बीपीएल उपभोक्ताओं को मुफ्त में और किसानों को सब्सिडी एवं राहत भरी बिजली मिल पाना सम्भव नहीं होगा। इसके अतिरिक्त वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं को बिल में दिए जा रहे 50% छूट का लाभ दे पाना भी राज्य सरकार के लिए टेढ़ी खीर होगी। संशोधन पश्चात बिजली कंपनियों की बागडोर केंद्र सरकार के हाथ में होगी जिससे राज्य सरकारों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।
जनता यूनियन के क्षेत्रीय अध्यक्ष यतींद्र गुप्ता ने कहा छत्तीसगढ़, विद्युत उत्पादन, वितरण तथा सेवा के क्षेत्र में पूरे देश में अग्रणी है। संशोधन के पश्चात बिजली कंपनियां केंद्र के अधीन होंगी। जिसके कारण राज्य सरकार बिजली यूनिट की दर, मुफ्त बिजली वितरण, कृषि कार्य हेतु सब्सिडी तय करने के लिए स्वतंत्र नहीं होगी। अपने ही राज्य में उत्पादित बिजली के उपयोग, वितरण और विक्रय का स्वायत्त अधिकार भी राज्य सरकार के पास नहीं रह जायेगा। इस कारण सरकार को निसंदेह जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। बिजली की दरें बढ़ने से उद्योग धंधे कम स्थापित होंगे, जिससे रोजगार के अवसर कम होंगे। गांव-गलियों में हो रहे विद्युतीकरण कार्य पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा।
जनता यूनियन के प्रांतीय महासचिव अजय बाबर (धमतरी) ने कहा जनता यूनियन ने समय रहते इसका विरोध शुरू कर दिया है। यह संशोधन बिल आम जनता, किसान, उद्योग सहित विद्युत कर्मचारियों का भी विरोधी है। कोरोना संक्रमण काल में इस बिल का प्रस्ताव लाना न्यायोचित नहीं है। अतः केंद्र सरकार तत्काल यह बिल वापस ले। उन्होंने मांग की कि विद्युत उत्पादन, वितरण, दर निर्धारण, सबसिडी आदि का समस्त अधिकार राज्य सरकार के पास ही सुरक्षित रहना चाहिए।
बिल के विरोध में सरगुजा संभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय, अधीक्षण अभियंता कार्यालय, क्षेत्रीय लेखाधिकारी कार्यालय, परियोजना संभाग, शहर सम्भाग सहित संचार संधार संभाग अंबिकापुर, बलरामपुर, मनेंद्रगढ़, सूरजपुर, पत्थलगांव, जशपुर आदि कार्यालयों में कर्मचारियों ने काली पट्टी लगाकर प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने में श्री अनिल त्रिपाठी, ए डी डोंगरे, गीता सिंह, ओ पी सिंह, आशीष कुमार हीरा, प्रमोद कुमार, विनोद खलखो, अनूप उरांव, कपिल मोंगरे, सचिन देव टोप्पो, शंभू गुप्ता, अमृता तिर्की, विनीता, अमरदीप तिर्की आदि का पूर्ण योगदान रहा।

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