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क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर साढ़े चार लाख प्रवासी श्रमिक पहुंचे अपने घरों में , प्रदेश के 11940 क्वारेंटाइन सेंटर्स में अभी रह रहे हैं इतने लोग

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देश के विभिन्न हिस्सों से छत्तीसगढ़ लौटे प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रदेश भर में 21 हजार 183 क्वारेंटाइन सेंटर्स बनाए गए हैं। इनमें से 11 हजार 940 सेंटर्स मे अभी एक लाख 67 हजार लोग रह रहे हैं। अलग-अलग राज्यों से वापस आए साढ़े चार लाख से अधिक श्रमिक 14 दिनों की क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर लौट चुके हैं। खुद के एवं अन्य लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें दस दिनों तक होम-क्वारेंटाइन में रहने के निर्देश दिए गए हैं। गांवों में स्थापित क्वारेंटाइन सेंटर्स का संचालन एवं नियंत्रण संबंधित जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इनके संचालन में ग्राम पंचायतें, जनपद पंचायतें और जिला पंचायतें सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं।
ग्राम पंचायतों में स्थापित क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे प्रवासी मजदूरों को आवास और भोजन सहित सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। अस्थायी शौचालयों, पुरूषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नानगृहों, स्वच्छ पेयजल, लाइट एवं पंखों की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर इन सेंटर्स में टेलीविजन एवं रेडियो जैसे मनोरंजन के साधनों की भी व्यवस्था की गई है। क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। अस्वस्थ लोगों को इलाज और दवाईयां मुहैया कराई जा रही है। संक्रमण की संभावना और लक्षण वाले व्यक्तियों के तत्काल सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव गांवों में क्वारेंटाइन सेंटर्स के सुचारू संचालन के लिए लगातार व्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं। उनके निर्देश पर सेंटर्स की कमियों-खामियों को तत्परता से दूर किया गया है। उन्होंने क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे लोगों की सेहत की लगातार निगरानी और संक्रमण के लक्षण वाले लोगों के तत्काल सैंपल जांच के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। श्री सिंहदेव के निर्देश पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए मनरेगा के तहत जॉब-कार्ड बनाकर रोजगार दिया जा रहा है। अन्य योजनाओं के माध्यम से भी उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं। मजदूरों की स्किल-मैपिंग कर औद्योगिक, भवन निर्माण और अन्य क्षेत्रों में उन्हें काम दिलाने के लिए भी गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।

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