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रिश्वतखोर प्रभारी तहसीलदार कमलेश मिरी जशपुर जिला जेल दाखिल, एसीबी की टीम ने आज दोपहर मे पचास हजार रूपये रिश्वत लेते रंगे हाथ किया था गिरफ्तार

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जशपुर । जशपुर तहसील के प्रभारी तहसीलदार कमलेश मिरी को एसीबी की टीम ने आज शाम 7 बजे जिला जेल जशपुर दाखिल करा दिया है। एंटी करप्शन ब्यूरो अंबिकापुर की टीम ने आज दोपहर मे जशपुर के प्रभारी तहसीलदार कमलेश मिरी को पचास हजार रूपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। पीड़ित, तहसीलदार को पहली किश्त के रूप मे पचास हजार रूपये दे रहा था इसी दौरान प्लान के तहत एसीबी की टीम ने तहसीलदार को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। जिला मुख्यालय जशपुर के रहने वाले अनोज गुप्ता क्रय की हुई जमीन का रजीस्ट्री होने के बाद नामांतरण के लिये परेशान थे। बिना पैसे लिये प्रभारी तहसीलदार जमीन का नामांतरण करने को तैयार नहीं थे। प्रभारी तहसीलदार मीरी ने सबसे पहले अनोज गुप्ता से जमीन का नामांतरण करने के एवज मे पांच लाख रूपये रिश्वत की मांग की। लेकिन अनोज गुप्ता इतनी बड़ी राशि रिश्वत के रूप मे देने को तैयार नहीं थे। बारगेनिंग करने के बाद तहसीलदार मिरी तीन लाख रूपये मे जमीन का नामांतरण करने को राजी हो गये। जिसकी पहली किश्त पचास हजार रूपये आज तहसीलदार मिरी को देने के लिये गये थे। इसी बीच एसीबी की टीम पहुंचकर प्रभारी तहसीलदार को रंगे हाथो गिरफ्तार किया था।


सीजीपीएससी की परीक्षा पास कर कमलेश मिरी की पहली पोस्टिंग जशपुर मे ही हुई थी। कुछ साल यहां रहने के बाद इनका ट्रासफर हो गया था। पैसों की चाह ने मिरी को दोबारा जशपुर खिंच ले आई । बताया जाता है सेटिंग कर मिरी ने दोबारा अपना ट्रांसफर जशपुर कराया था। लगभग सात माह पहले ही कमलेश मिरी ट्रांसफर कराकर जशपुर आये थे। इनके पहले कार्यकाल मे भी रिश्वत को लेकर खूब शिकयत हुई थी लेकिन इनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।
आपको बता दें जशपुर जिले मे आठ तहसील है, सभी तहसील मे नामांतरण, बटवारा और सीमांकन बिना चढावा दिये नहीं होता। अधिकारी और बाबु मिलकर पक्षकारो को ऐसे घुमाते हैं कि पक्षकार रकम देने के लिये बाध्य हो जाता है। बताया जाता है जशपुर जिले के फरसाबहार तहसील मे भी खूलकर रिश्वतखोऋ की जा रही हैं। इस तहसील मे रिश्वत की राशि दलालो के माध्यम से ली जाती है। बटांकन और नक्शा दुरूस्त करने के नाम पर हजारो रूपये लिये जाते हैं। भोले-भाले लोग अपना काम निकालने के चक्कर मे रिश्वत देने को मजबूर हो जाते हैं।

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