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जशपुर जिले की हर्बल युक्त कैमिकल मुक्त सेनेटाइजर की मांग विदेशों तक, 10 माह में सिनगी स्व-सहायता समूह की 10 महिलाएं 10000 लिटर महुआ सेनेटाइजर बना कर 38 लाख 55 हजार रुपए का सेनेटाइज कर चुकी हैं विक्रय

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जशपुर । वनों से आच्छादित जशपुर जिले का महुआ सेनेटाइजर की महक अब विदेशों तक पहुंच चुकी है । जशपुर जिले में बनाए जा रहे महुआ सेनेटाइजर की मांग बड़ी संख्या में विदेशो से की जा रही हैं । सेनेटाइजर का उपयोग अब विदेशों में भी लोग करने लगे हैं ।विगत वर्ष कोरोना संक्रमण की शुरुआत दौर में जिला प्रशासन और वनमण्डलाधिकारी अधिकारी जाधव श्री कृष्ण और युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन के सार्थक प्रयास से सेनेटाइजर निर्माण की अप्रैल माह 2020 में शुरुआत की गई और संकट की इस घड़ी में सेनेटाइजर लोगों के लिए कारागार अविष्कार शाबित हुआ जशपुर जिले का नाम राज्य से लेकर देशभर में होने लगा और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ सभी जनप्रतिनिधियों ने खुलकर जशपुर जिले की प्रशंसा की गई । वनमण्डलाधिकारी जाधव श्री कृष्ण ने बताया कि कलेक्टर महादेव कावरे के मार्गदर्शन में ट्रायफेड द्वारा अब विदेशों से भी बड़ी संख्या में सेनेटाइजर की मांग की जा रही है।
जशपुर से बने उत्पाद दिल्ली ट्रायफेड के राष्ट्रीय कार्यशाला में भेजा गया और कार्यालय में इसकी गुणवत्ता हर्बल युक्त कैमिकल मुक्त की भी जानकारी दी गई । शुद्धता के कारण इसकी मांग विदेशों से बडी संख्या में की जा रही है । और भेजा जा रहा है। वन विभाग के उपमंडलाधिकारी एस के गुप्ता और युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने बताया कि जशपुर जिले के पनचचकी वन धन विकास केन्द्र में सिनगी स्व-सहायता समूह की 10 महिला मिलकर सेनेटाइजर बना रही है । महिलाएं महुआ फूलों से हर्बल सेनेटाइजर बनाती है । मधुकम सेनेटाइजर को दिल्ली भी भेजा जाता है । साथ ही गिफ्ट पैक करके दिल्ली से विभिन्न देशों की भेजा जाता है। सिनगी स्व-सहायता समूह की10 महिलाओं ने 10 महिने में कुल 38 लाख 55 हजार के महुआ सेनेटाइजर का विक्रय कर चुकी हैं । और स्व-सहायता समूह की महिलाओं को शुद्ध 11 लाख का आर्थिक लाभ हो चुका है । महिलाओं ने खुशी जाहिर करते हुए जिला प्रशासन और वनविभाग के अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर परिवार को मदद कर रही है । महिलाओं ने बताया कि सेनेटाइजर में किसी भी तरह का कैमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए यह हथेली की त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाता है । सेनेटाइजर देश के बाहर दूतावासों को भी उनकी मांग के अनुसार भेजा जा रहा है । जशपुर जिले में महुआ बड़ी संख्या में मिलता है। लगभग साल में 18000 किवंटल महुआ फूल का उत्पादन होता है । समूह की महिलाएं महुआ को अच्छी तरह से सूखाकर सेनेटाइजर बनाती है। महिलाओं ने बताया कि 10 माह में अप्रैल 2021 तक 10000 लिटर महुआ सेनेटाइजर बना चुकी है । इनमें से 9300 लीटर स्थानीय शासकीय संस्थाओं संजीवनी मार्ट , संजीवनी केन्द्रों के माध्यम से विक्रय कर चुकी और अच्छा मुनाफा मिलने लगा है । उल्लेखनीय है कि 22 मई 2020 को अंतराज्यीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपस्थिति में सेनेटाइजर का विक्रय प्रारंभ किया गया था । वन धन विकास केन्द्र पनचककी में कलेक्टर महादेव कावरे ने खनिज न्यास निधि मद से 10 लाख की लागत से प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित करवाया गया है।

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