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प्रधानमंत्री जन-धन योजना : वित्तीय समावेशन के राष्ट्रीय मिशन ने अपने सफल कार्यान्वयन के आठ साल किए पूरे , पीएमजेडीवाई की शुरुआत से लेकर अब तक 46.25 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खाते खुले

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नई दिल्ली । वित्तीय समावेशन की अपनी पहलों के जरिए, वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्तीय समावेशन (एफआई) के माध्यम से हम देश में एक समान और समावेशी विकास को हासिल कर सकते हैं। वित्तीय समावेशन का मतलब है- कमजोर समूहों जैसे निम्न आय वर्ग और गरीब वर्ग, जिनकी सबसे बुनियादी बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं है, उन्हें समय पर किफायती दर पर उचित वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराना।
यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गरीबों की बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का अवसर प्रदान करता है, गांवों में अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा उन्हें सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का मौका देता है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है, जो वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी। 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस मौके को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति का उत्सव कहा था।
पीएमजेडीवाई की 8वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने कहा कि वित्तीय समावेशन समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है जो समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के समग्र आर्थिक विकास को सुनिश्चित करता है। 28 अगस्त 2014 से पीएमजेडीवाई की सफलता 46 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलने और उसमें 1.74 लाख करोड़ जमा होने से स्पष्ट पता चलती है। इसका विस्तार 67 फीसदी ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक हो चुका है और 56 फीसदी जनधन खाताधारक महिलाएं हैं। 2018 से आगे पीएमजेडीवाई के जारी रहने से देश में वित्तीय समावेशन परिदृश्य की उभरती चुनौतियों और आवश्यकताओं को पूरा करने के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय बदलाव आया। उन्होंने कहा कि इन खातों के जरिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रवाह को बढ़ाकर इनके इस्तेमाल पर अतिरिक्त जोर देने के साथ ही, रुपे कार्ड आदि के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर ‘हर घर’ से अब ‘हर वयस्क’ पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा, “पीएमजेडीवाई के बुनियादी उद्देश्यों जैसे, बैंकिंग सेवा से वंचित लोगों को बैंकिंग सेवा से जोड़ना, असुरक्षित को सुरक्षित बनाना और गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण करने जैसे कदमों ने वित्तीय सेवाओं से वंचित और अपेक्षाकृत कम वित्तीय सेवा हासिल करने वाले इलाकों को सुविधा प्रदान की है। साथ ही प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बहु-हितधारकों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना संभव बनाया है।”
वित्त मंत्री ने अपने संदेश में कहा कि खाताधारकों की सहमति से बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबरों से जोड़कर बनाई गई जेएएम पाइपलाइन ने (जो एफआई पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है) सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों को तत्काल डीबीटी के लिए सक्षम बनाया है।’ एफआई पारिस्थितिकी तंत्र के तहत बनी इस व्यवस्था का लाभ कोविड-19 महामारी के समय देखने को मिला, जब इसने पीएम-किसान के तहत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता की सुविधा प्रदान की और पीएमजीकेपी के तहत महिला पीएमजेडीवाई खाताधारकों को निर्बाध और समयबद्ध तरीके से अनुग्रह राशि का हस्तांतरण संभव हुआ।
श्रीमती सीतारमन ने अपने संदेश के आखिर में कहा, “वित्तीय समावेशन के लिए उपयुक्त वित्तीय उत्पादों, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों और डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी संरचना के आधार पर नीतिगत पहलों की आवश्यकता होती है। लोगों के लिए योजना का लक्षित लाभ प्राप्त करने के लिए देश ने पीएमजेडीवाई की शुरुआत से ही इस रणनीति को अपनाया है। मैं सभी क्षेत्रीय कर्मचारियों/पदाधिकारियों को पीएमजेडीवाई को सफल बनाने में उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद देती हूं।”
ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में वृद्धि :
ओवरड्राफ्ट की सीमा को 5,000/- रुपये से दोगुनी करते हुए 10,000/- रुपये की गई; 2,000/- रुपये तक का ओवरड्राफ्ट बिना शर्तों के मिलेगा।
ओवरड्राफ्ट के लिए अधिकतम आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया गया।

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