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संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध गुफा का द्वार खुलेगा 7 सितंबर को,झाटीबन आलोर की पहाडो में है माँ लिंगेश्वरी विराजमान, दो वर्षो के पश्चात इस वर्ष श्रद्धांलुओं को होंगे माँ के दर्शन

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कोण्डागांव। कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लाक मुख्यालय से पश्चिम दिशा की ओर महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम झाटीबन आलोर की पहाड़ी में स्तिथ मां लिंगेश्चरी के गुफा का द्वार वर्ष में एक बार ही खोला जाता है इस वर्ष भादो माह की शुक्ल पक्ष की 12 वी तिथि 07 सितंबर दिन बुधवार को यह द्वार खोला जायेगा, गुफा के पट खुलने का इंतजार क्षेत्र वासियों के साथ साथ समस्त देश वासियो को रहता है क्योकि माँ लिंगेश्वरी के दरबार में संतान की मनो कामना के साथ साथ अनेक कामनाओ को लेकर श्रद्धालु यहां पहुंचते है आपको बता दे की देवी देवताओं की धार्मिक आस्था के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर के खूबसूरत वादियों में ग्राम झाटीबन आलोर के पहाड़ों के बीच एक गुफा में माँ लिंगेश्वरी विराजमान हैं, जहां प्रतिवर्ष हजारो की संख्या में स्थानीय भक्तो के साथ साथ भिन्न भिन्न प्रांतो से संतान की मनोकामना के लिए माथा टेकने सपरिवार आते है, अधिकांश नि: संतान दम्पति संतान प्राप्ति के लिए यहां आते हैं, समिति के सदस्य और पुजारियों द्वारा सुबह सुबह लिंगेश्वरी मां की विधिविधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालुओं को माँ लिंगेश्वरी के दर्शन गुफा के द्वार के पास से कराये जाते है श्रद्धांलुओं के दर्शन पश्चात रात में गुफा पट बंद कर दिया जाता है और श्रद्धांलुओं को माँ के दर्शन के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। गुफा के द्वार खुलते ही होता है क्षेत्र के भाग्य का फैसला माँ लिंगेश्वरी सेवा समिति झाटी बन आलोर ने बताया की प्रति वर्ष द्वार बंद करने के दौरान गुफा के अंदर रेत बिछाई जाती है और द्वार खोलने पर बिछी हुई रेत में जो पद चिन्ह जिस दिशा की ओर दिखाई देते है वह उस क्षेत्र के विकास, सुख शांति, खुशहाली और भय आतंक विवाद को दर्शाता है जैसे गाय, हाथी, शैर के पद चिन्ह क्षेत्र की धन धान्य और खुशहाली को दर्शाता है वही तेंदुआ, बिल्ली, मनुष्य के पैर का निशान वाद विवाद, भय एवं आतंक को दर्शाता है। संतान की मन्नत मांगने वाले पति पत्नी को नाखुन से फाड़ कर खाना होता है खीरा माँ लिंगेश्वरी के दरबार में सन्तान प्राप्ति के लिए भक्तो द्वारा खीरा को माँ लिंगेश्वरी को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और पुजारी द्वारा पुजा अर्चना पश्चात पत्नी की झोली में वापस दिया जाता है उसी पहाड़ी में बैठकर पति द्वारा नाखुन से खीरे के दो भाग कर एक भाग पति और एक भाग पत्नी को खाना होता है। एक दिन खुलने वाली गुफा में सामाजिक समरसता माँ लिंगेश्वरी मंदिर के पट खुलने से पूर्व से लेकर पट के बन्द होने तक सभी समाज के लोगो की अलग अलग जिमेदारिया बटी हुई है यादव समाज के द्वारा मंदिर स्थल में पानी और सामग्री लाकर खीर और आटे का प्रसाद बनाकर चढाया जाता है वही माली के द्वारा फुल की व्यवस्था, कुम्हार समाज के द्वारा हंडी दीया धुप आरती की व्यवस्था, अंधकुरी समाज के द्वारा बाजा मोहरी बजाया जाता है एवं अन्य समाज को भी अलग अलग जिम्मेदारी दी जाती है समस्त समाज द्वारा अपने कार्यो का निर्वाह श्रद्धा पूर्व किया जाता है उसी के पश्चात माँ लिंगेश्वरी मेला सम्पूर्ण माना जाता। मन्नत माँगने और पूर्ण होने वाले श्रद्धालओ की संख्या साल में एक दिन खुलने वाली माँ लिंगेश्वरी गुफा के द्वार में 2016 से 2019 तक 4 वर्षो में 3690 श्रद्धांलुओं संतान की मनोकामना लेकर माथा टेका था जिसमे से 1204 श्रद्धांलुओं की मन्नत पूर्ण हुई थी वही विगत दो वर्षो से कोरोना महामारी के चलते गुफा के द्वार को भक्तो के लिए बंद रखा गया था इस वर्ष माँ लिंगेश्वरी का द्वार 7 सितम्बर खोला जायेगा जिसमे श्रद्धांलुओं के अत्याधिक पहुंचने की सम्भावना बताई जा रही है।

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