गरियाबंद। ब्रह्म कमल नाम सुनकर ही मन में एक अलग ही सात्विक विचार का संचार हो जाता है।शुक्रवार रात्रि लगभग 11:30 बजे ग्राम नहरगाँव में कृषक नागेंद्र सिन्हा के बाड़ी में ब्रह्म कमल के 3 आकर्षक फूल खिले,इस दुर्लभ ब्रह्मकमल फूल को देखने गाँव सहित शहर के लोगों की भीड़ देर रात तक चलता रहा लोग इस नजारे को देखने के लिए देर रात तक जागते रहे,नागेंद्र सिन्हा ने बताया की उन्होंने ने सोशल मीडिया पर इस फूल को अपने एक मित्र के फ़ेसबुक एकाउंट पर देखा था और साथ ही उनसे सम्पर्क कर उस फूल के कलम को अपने बाड़ी पर लगाया जहां 3 नग ब्रम्ह कमल फूल खिले,बताया जाता है कि ब्रम्ह कमल जब पूर्ण रूप से खिलता है,उस समय वहां पर प्रार्थना किया जाए तो उसकी प्रार्थना अवश्य स्वीकार होती है और मनवांछित फल प्राप्त होता है।कहते हैं कि किसी भी घर में ब्रह्म कमल का खिलना व दर्शन करना दोनों शुभ माने जाते हैं। यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है।ब्रह्म कमल को हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा गया है।ब्रह्म कमल आधी रात के बाद खिलता है इसलिए इसे खिलते देखना स्वप्न समान ही है।यह साल में एक ही बार जुलाई सितंबर के बीच खिलता है और एक ही रात रहता है।ब्रह्म कमल का खिलना देर रात आरंभ होता है तथा दस से ग्यारह बजे तक यह पूरा खिल जाता है।मध्य रात्रि से इसका बंद होना शुरू हो जाता है और सुबह तक यह मुरझा चुका होता है। ब्रह्म कमल की विशेषता इस फूल की विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है। ब्रह्म कमल न तो खरीदा जाना चाहिए और न ही इसे बेचा जाता है। इस पुष्प को देवताओं का प्रिय पुष्प माना गया है और ब्रह्म कमल में जादुई प्रभाव भी होता है। इस दुर्लभ पुष्प की प्राप्ति आसानी से नहीं होती। हिमालय में खिलने वाला यह पुष्प ब्रह्म कमल देवताओं के आशीर्वाद सरीखा है। इसकी सुगंध प्रिय होती है और इसकी पंखुडियों से टपका जल अमृत समान होता है। भाग्यशाली व्यक्ति ही इसे खिलते हुए देखते हैं और यह उन्हें सुख-समृद्धि से भर देता है। ब्रह्म कमल का खिलना एक अनोखी घटना है।भाग्योदय की सूचना देने वाला यह पुष्प पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। जिस तरह बर्फ से ढंका हिमालयी क्षेत्र देवताओं का निवास माना जाता है उसी तरह बर्फीले क्षेत्र में खिलने वाले इस फूल को भी देवपुष्प मान लिया गया है।