Home छत्तीसगढ़ पुरूषों पर हो रहे अत्याचार को रोकने केन्द्र सरकार तत्काल पुरूष आयोग...

पुरूषों पर हो रहे अत्याचार को रोकने केन्द्र सरकार तत्काल पुरूष आयोग का गठन करे : बरखा त्रेहन, विवाहित पुरूषों की आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर

64
0
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.26 AM (2)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.26 AM (1)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.20 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.27 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.25 AM (1)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.26 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.23 AM (1)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.24 AM (2)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.25 AM (2)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.24 AM (1)
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.21 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.24 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.23 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.25 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.22 AM
WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.26 AM (2) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.26 AM (1) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.20 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.27 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.25 AM (1) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.26 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.23 AM (1) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.24 AM (2) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.25 AM (2) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.24 AM (1) WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.21 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.24 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.23 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.25 AM WhatsApp Image 2024-01-26 at 11.51.22 AM

रायपुर। भारत क्या पूरी दुनिया में ही यह धारणा है कि महिलाएं पीडि़त हैं और उन्हें पीड़ा और कोई नहीं देता बल्कि पुरुष देते हैं। यही कारण है कि पुरुषों के साथ होने वाले तमाम अत्याचारों को सहज मान लिया जाता है। एक कहावत है कि मर्द को दर्द नहीं होता और यही सोचकर तमाम आक्षेप पुरुषों पर लग जाता है। इन दिनों तो कई मामले हैं, जिनसे यह पता चलता है कि आखिर हमारे पुरुष किस प्रकार की हिंसा का सामना कर रहे है क्योंकि नियम कानून, अदालत सभी महिलाओं के पक्ष में जाकर खड़े हो गए हैं। इन्हीं सब मामलों पर आज पुरुष आयोग की गठन की तत्काल आवश्यकता है। उक्ताशय के विचार प्रेसक्लब रायपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में पुरूष आयोग नईदिल्ली की अध्यक्षा बरखा त्रेहन नईदिल्ली ने व्यक्त किए। पत्रकारवार्ता में बरखा ने कहा उक्त मामलों पर मन की बात करते हैं. वैवाहिक बलात्कार, पुरुष आयोग, पुरुषों पर घरेलू हिंसा, मेन टू (पुरुष भी इंसान है) मर्द का दर्द मर्द ही समझता है। बरखा त्रेहन ने बताया कि पुरुष आयोग या फिर पुरुष मंत्रालय की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने कहा कि स्त्री के प्रति सहानुभूति भरे दृष्टिकोण के कारण पूरे विश्व में पुरुषों को प्रताडक़ की दृष्टि से देखा जाने लगा है, जबकि वह स्वयं प्रताडऩा का शिकार है। एक शोध के अनुसार भारतीय महिलायें अपने पतियों पर शारीरिक हिंसा करने में विश्व में तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी किये गए आत्महत्या के आंकड़े दर्शाते हैं कि विवाहित महिलाओं की अपेक्षा विवाहित पुरुष तिगुना आत्महत्या करते है। वर्ष 2021 में 81063 विवाहित पुरुषों ने आत्महत्या की वही विवाहित महिलाओं की संख्या 28660 रही। आत्महत्या के मुख्या कारणों में 33.2 प्रतिशत पारिवारिक कारण बताये गए। स्वस्थ्य कारणों से भी 18.6 प्रतिशत लोगों ने आत्हत्या की जो दर्शाते है की सामाजिक एवम व्यक्तिगत कारण से पुरुष आत्महत्या कर रहे है। सरकार इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय क्षति के प्रति पूर्णत: उदासीन है। आत्महत्या के मामलों में भारत प्रथम स्थान पर है और पूरे भारत वर्ष में हर 4.45 मिनट में एक पुरुष आत्महत्या कर रहा है। वर्ष 2021 में छतीसगढ़ राज्य में 7828 लोगों ने आत्महत्या की है जिसमे 2203 महिलायें और 5626 पुरुष है। देश में छत्तीसगढ़ का तृतीय स्थान है जहां महिलाओं से पीडि़त पुरूष इतनी बड़ी संख्या में मानसिक तनाव होने की वजह से आत्महत्या किए। भारतीय कानून व्यवस्था में भी पुरुषों के अधिकार की अनदेखी की जा रही है। जहां महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 50 से अधिक कानून है वहीं पुरुषों के प्रताडि़त होने पर भी पुरुषों के प्रति कोई संवेदना नहीं रखी जाती! भारतीय कानून व्यवस्था लैंगिक भेदभाव को संरक्षण देता है। इसी क्रम में वैवाहिक बलात्कार जैसे कानूनों का उत्सर्जन हो रहा है। अपराध का कोई लिंग नहीं होता कहते हुए बरखा त्रेहन ने कहा कि पुरुषों को हाशिये पर धकेला जा रहा है। केवल लिंग तटस्थ कानून ही पुरुषों के विरुद्ध होने वाले इस अत्याचार को समाप्त कर सकते हैं। यह भारतीय पुरुष हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा डिप्रेशन ग्रसित समुदाय है, परन्तु समर्पित मंत्रालय न होने के कारण पुरुषों कि आवाज दबकर रह जाती है। लिंग आधारित कानून बनाकर सरकार पुरुषों के साथ होने वाले अत्याचारों को अनदेखा ही नहीं कर रही है बल्कि पुरुषों को मूल अधिकारों से वंचित करने से पुरुषों में आत्महत्या कि दर बढ़ गयी है और सरकार ने केवल पुरुषों के दर्द बढ़ाने का काम ही किया है बरखा आशंकित है कि यदि पुरुषों को ऐसे ही हाशिये पर धकेला जाता रहा तो भारतीय पुरुष पीछे रह जाएंगे और सामाजिक असंतुलन उभरेगा। भारतीय पुरुष इस समय सबसे कमजोर तबका है और उन्हें केवल एक दुधारू गाय या एटीएम ही माना जाता है। पुरुषों के लिए आयोग न बनाया जाना और पुरुषों के साथ होने वाले हर अत्याचार की उपेक्षा करना करना समाज को विभाजित करके महिला तुष्टीकरण द्वारा वोट बैंक की कोशिश है। पुरुष सामाजिक योगदान में महत्वपूर्ण प्रतिभागी है और देश कीअर्थव्यवस्था में अपना सार्थक योगदान देते हैं। उन्हें शांति और सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here