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इन तरीकों से पढ़ाएं अपने बच्चों को, हमेशा रहेंगे अव्वल

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आजकल छोटी कक्षाओं में भी सिलेबस बहुत ज्यादा है। होमवर्क का दबाव इतना है कि बच्चों के साथ ही पैरेंट्स को भी पढऩा पड़ता है। ऐसे में बच्चों को छोटी उम्र में ही पढऩे की आदत डाल दी जाए तो बच्चे और अभिभावक दोनों के लिए ही अच्छा रहेगा। इससे बच्चे न सिर्फ मेधावी होंगे बल्कि करियर के दबाव से होंगे मुक्त। स्टडी चार्ट बनाएं- बच्चे को होमवर्क कराने की शुरुआत कर रही हैं तो सबसे पहले टाइमटेबल सुनिश्चित करें और रोज उसी समय पढ़ाने बैठें। स्कूल से वापस आने के बाद बच्चों का मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता। टीचर छोटे बच्चों को सिलेबस के हिसाब से कलर करना या एल्फाबेट लिखने जैसे काम होमवर्क में देते हैं। तीन या चार में पढऩे वाले बच्चों के लिए पर्याप्त कॉपीवर्क दिया जाता है। ये वर्क भी उनके लिए काफी मुश्किल भरा होता है। जिनमें कई बार वे गलती भी करते हैं। ध्यान रहे कि ऐसे में आपको उन्हें डांटना नहीं, सिर्फ समझाना है। दिनभर भले ही आप दैनिक उलझनों में उलझी रहें पर होमवर्क कराते समय हल्के मूड में रहें और बच्चे को पूरा वक्त दें। संयम से लें काम- अक्सर बच्चों को लगता है कि उनको होमवर्क करना पड़ता है और बड़े लोग मजे में रहते हैं। ऐसे में वे कई बार न पढऩे की जिद कर बैठते हैं। अच्छा रहेगा कि आप उन्हें समझाएं। बच्चे तो बच्चे हैं वे अपना धैर्य खो देते हैं लेकिन आप संयम बनाएं रखें। उन्हें समझाएं कि सिर्फ नोटबुक में कुछ लिख लेने या स्कूल का काम पूरा कर लेने को ही होमवर्क नहीं कहते। होमवर्क का मतलब होता है हर दिन घर में भी कुछ नया सीखा जाए। कूल रहे माहौल- बच्चे को पढ़ाते समय कभी इस बात का दबाव न बनाएं कि यह कार्य अभी करना है या जरूर करना है। बेहतर रहेगा कि खेल-खेल में होमवर्क या कुछ नया सिखाने की कोशिश करें। ऐसे में उसमें पढऩे की रुचि विकसित होगी और वो कुछ ही दिन में खुद ही कहने लगेगा कि मुझे पढऩा है। जो विषय बच्चे को रुचिकर लगे उसे पहले पढ़ाएं, इससे वो बिना किसी दबाव के पढ़ेगा। पढ़ते समय बच्चे को शांत माहौल दें जिससे उसका मन पढऩे में लगा रहे। यदि घर के अन्य सदस्य माहौल बिगाड़ेंगे तो उसका मन भी पढ़ाई में नहीं लगेगा।

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