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पहले 12.50 लाख खर्च कर बनाया तालाब, दो साल बाद राखड़ से पाटकर बना दिया मैदान नरेगा की राशि के दुरुपयोग का अनोखा मामला उजागर : अब पुलिस करेगी जांच

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कोरबा । छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जिले के कोरबा विकासखंड के ग्राम पंचायत ब्रीडिंग में 2 साल पहले 12.50 लाख रुपयों की लागत से तालाब की निर्माण कराया गया। 2 साल बाद इस तालाब को बिजली घर से निकलने वाली कोयले की जहरीली राख से पाटकर मैदान बना दिया गया। इस मामले में ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों से लेकर पर्यावरण संरक्षण मंडल और राजस्व विभाग के अधिकारियों तक की लापरवाही और मिलीभगत की आशंका है। मामला पुलिस तक पहुंच गया है और पुलिस इस मामले की जांच करने जा रही है। जिला मुख्यालय कोरबा से करीब 25 किलोमीटर दूर कोरबा विकास खंड का ग्राम पंचायत बरीडीह है। वित्त वर्ष 2016-17 में 12.81 लाख रुपयों की लागत से धनवार पारा में तालाब निर्माण के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। तालाब का निर्माण 23 जनवरी 2019 को प्रारम्भ होकर 29 जून 2019 को पूर्ण हुआ था। तालाब निर्माण में कुल 12.57 लाख रुपये व्यय किये गए थे। इसके दो साल बादइस तालाब को  बिजली घरों से निकलने वाली कोयले की जहरीली राख से पाटकर मैदान बना दिया गया। इसके लिए बाकायदा ग्राम पंचायत की बैठक हुई, जिसमें तालाब और गांव के कथित कीचड़ युक्त रास्ते में राख मिट्टी से फिलिंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके बाद अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व कार्यालय में अनुमति के लिए आवेदन दिया गया। इसमें तालाब का उल्लेख नहीं किया गयाए बल्कि केवल भूमि के खसरा नम्बर लिखे गए। साथ ही सम्बंधित भूमि में गड्ढा और दलदल होने के कारण जानमाल की हानि होने की आशंका जताई गई। आवेदन के साथ ग्राम पंचायत में सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव की प्रतिलिपि संलग्न की गई। अनुविभागीय अधिकारी ने कथित रूप से पटवारी से स्थल निरीक्षण कराया और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा कार्यालय से अभिमत/अनापत्ति की मांग की। मजे की बात यह है कि ग्राम पंचायत ने 11 नवम्बर 2020 को तालाब में राखड़ फिलिंग का प्रस्ताव पारित किया और 17 नवम्बर 2020 को अनुविभागीय अधिकारी को अनुमति के लिए आवेदन दिया। लेकिन आवेदन से पहले ही अनुविभागीय अधिकारी ने 13 नवम्बर 2020 को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा कार्यालय को अनापत्ति के लिए पत्र भेज दिया। हैरत की बात है कि 19 नवम्बर को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा कार्यालय ने पत्र रिसीव किया और 23 नवम्बर 2020 को अनापत्ति जारी कर दिया। इसके अगले दिन ही अनुविभागीय अधिकारी कोरबा ने तालाब में राखड़ फिलिंग की अनुमति जारी कर दी। हाल ही में यह मामला सामने आया तो जिला प्रशासन ने कथित रूप से मामले की जांच कराई। लेकिन इस सम्बंध में कोरबा कलेक्टर संजीव कुमार झा से पूछा गया तो उन्होंने जानकारी होने से इनकार किया। जिला पंचायत कोरबा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नूतन कंवर से पूछने पर उन्होंने जांच होने की पुष्टि की, लेकिन जांच के निष्कर्ष और उस पर हुई कार्रवाई का विवरण देने में टाल मटोल करते रहे। इस बीच छत्तीसगढ़ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष और प्रदेश के नामचीन समाजसेवी वीरेन्द्र पाण्डेय ने मामले की लिखित शिकायत जिले के उरगा पुलिस थाना में कई है और शिकायत की जांच कर सभी दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। शिकायत की प्रतिलिपि जिला पुलिस अधीक्षक को भी दी गई है। उरगा थाना प्रभारी राजेश जांगड़े ने जांच के बाद कार्रवाई करने की बात
कही है। उधर बरीडीह गांव के निवासियों से चर्चा की गई तो उन्होंने तालाब को राख से पाटने की तो पुष्टि की लेकिन राख फिलिंग करने वाली एजेंसी अथवा पाटने का कोई कारण नहीं बता सके। बल्कि बहानेबाजी करते रहे। धनवार पारा वार्ड के पंच भी, जिनके वार्ड के तालाब की फिलिंग की गई है, बहानेबाजी करते रहे। कुल मिलाकर इस मामले में जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों सहित पर्यावरण संरक्ष्ण मंडल के अधिकारियों की घोर लापरवाही सहित मिलीभगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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