रायपुर । विगत 22 वर्ष पहले बने छत्तीसगढ़ राज्य में अभी भी यहां काम कर रहे कर्मचारियों की फरियाद सरकार नहीं सून रही है। यही कारण है कि ये कर्मचारीगण अपनी मांगों को लेकर राजधानी रायपुर की रूख करते हैं और यहां सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरना देते हैं। जिसका खामियाजा रायपुर वासियों को जाम की सूरत में भुगतना पड़ता है। कुछ समय पूर्व शहर के स्वयं सेवी संगठनों द्वारा जिला कलेक्टर रायपुर से बुढ़ापारा धरनास्थल अन्य स्थल पर ले जाने की मांग की गई थी। किंतु राज्यशासन की सहमति के बाद भी अब तक धरनास्थल नहीं बदला है। जिसके कारण कामकाजी लोग विद्यार्थी जो यहां से हजारों की संख्या में आवाजाही करते हैं। एक लाख दैनिक वेतन भोगियों के धरनास्थल में शामिल होने की वजह से रोज सुबह शाम लंंबे जाम में फंस रहे हैं। ज्ञातत्व है कि इन दिनों शहर में गणेशोत्सव देखने के लिए रायपुर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में शाम पांच बजे देर रात तक उक्त मार्गों से आवाजाही करते हैं। धरना दे रहे हड़तालियों की वजह से शहर के मुख्य मार्ग दिन भर जाम रहते हैं। यातायात की स्थिति इन दिनों इतनी बदहाल हो चुकी है कि विभिन्न मरीजों को मुख्य मार्गों से ले जा रही एम्बुलेंस को भी रास्ता क्लियर नहीं होने के कारण जाम में फंसना पड़ता है। आम नागरिकों में भी एम्बुलेंस को रास्ता देने के मामले में अज्ञानता का प्रदर्शन किया जाता है, जबकि केन्द्र सरकार द्वारा जारी प्रोटोकाल के तहत सभी प्रकार के वाहनों को रोककर मरीज ले जा रही एम्बुलेंस को प्रथम प्राथमिकता से रास्ता दिए जाने का प्रावधान है। शहर के अनेक नागरिकों ने खासतौर से बुढ़ापारा, सदरबाजार, पुरानीबस्ती, लोहार चौक, टूरी हटरी, खोखोपारा, गोपियापारा, बंधवापारा, लाखेनगर, कुशालपुर, टिल्लू होटल आदि क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बुढ़ापारा धरनास्थल तत्काल बदलने की मांग की है।