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सरोगेसी उन्मुक्त विचार नहीं, जबकि अब यह कानून का रूप ले चुका है, जिसका पालन हर व्यक्ति को करना होगा – प्रधान न्यायाधीश, सरोगेसी कानून महिलाओं के अधिकारों की व्याख्या के साथ साथ कानूनी संरक्षण भी प्रदान करता है, सरोगेसी कानून के संबंध में हुई प्रथम कार्यशाला

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रायपुर । जिला न्यायालय परिसर रायपुर में संचालनालय स्वास्थ्य सेवा एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में सरोगेसी कानून 2021पर राज्य की प्रथम प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्री हेमंत सराफ एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता संचालक स्वास्थ्य सेवाएं श्री भीम सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। उक्त कार्यक्रम में प्रधान न्यायधीश श्री हेमंत सराफ ने कहा कि सरोगेसी कानून महिलाओं के अधिकारों की व्याख्या के साथ साथ कानूनी संरक्षण भी प्रदान करता है।इस कानून के माध्यम से भारत देश की हर महिला का अधिकार और विस्तृत रूप से सुरक्षित होगा। इस नये कानून के संबंध में हुई प्रथम कार्यशाला पूरे राज्य के लिये उक्त कानून के संबंध में जागरूकता का काम करेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संचालक स्वास्थ्य सेवाएं श्री भीमसिंह ने कहा कि हम स्वास्थ्य सेवाओं में प्राधिकरण के साथ मिलकर उक्त नवीन कानून पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे। यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश के लिये उदाहरण बनेगा और यहां पर उपस्थित माननीय न्यायाधीशगण तथा चिकित्सकगण की उक्त कानून के प्रावधानों को जन जन तक सहज तथा सरल तरीके से पहुंचाने में अपनी अभूतपूर्व भूमिका निभायेंगे।
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव द्वारा उक्त कार्यक्रम में सरोगेसी अधिनियम 2021 में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उक्त कानून के तहत सरोगेसी क्लिनिकों का प्रतिशेष और विनियमन के संबंध में नियम बनाये गये है।जिसमें जो चिकित्सक कानून के तहत पंजीकृत नहीं है वह ऐसी विज्ञनिकों को नहीं चला सकते हैं। उनके द्वारा सरोगेसी के तहत चिकित्सकीय प्रणाली स्त्रियों तथा बच्चों के चिकित्सकीय अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कु. पारूल श्रीवास्तव ने सरोगेसी अधिनियम 2021 के उद्देश्यों को कानूनी पहलुओं के संबंध में कार्यशाला में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुछ वर्षों में भारत विभिन्न देशों के लिये सरोगेसी का केन्द्र बन गया है। जिसके कारण अनैतिक व्यापार सरोगेट माताओं के शोषण सरोगेसी से उत्पन्न बालकों के परित्याग और मानव भ्रूणों और युग्मकों के आयात की घटनाएं बढ़ी है। इसीलिये 25 दिसंबर 2021 को उक्त कानून भारत में लागू किया गया। उन्होंने बताया कि 23 से 50 वर्ष और 26 से 55 वर्ष के क्रमश: महिला और पुरूष अनुर्पय आशय रखने वाले भारतीय विवाहित दंपत्ति को नैतिक परोपकारी सरोगेसी अनुज्ञात कानून में है। सरोगेट माता वही है जो दंपत्ति के निकट नातेदार हो, जो पहले से विवाहित हो, जिसका स्वयं का बालक हो और उसकी आयु 25 से 35 वर्ष की हो। इसके अतिरिक्त उन्होंने परित्यक्त बालक स्वार्थहीन सरोगेसी, नैदानिक स्थापना, वाणिज्यिक सरोगेसी इत्यादि विषयों की भी जानकारी दी।उन्होंने बताया कि सरोगेसी कानून में घटित अपराध का संज्ञान राष्ट्रीय बोर्ड या राज्य बोर्ड या अन्य प्राधिकृत व्यक्ति के परिवार पर ही किया जायेगा।ऐसे अपराध में सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट ही कर सकते हैं।ऐसे अपराध गंभीर प्रकृति के होते हैं। जिसमें विभिन्न प्रावधानों के तहत 08 वर्ष की सजा और 20 लाख रूपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।
कार्यक्रम के अंत में श्रीमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।उनके द्वारा बताया गया कि इस कानून के संबंध में जानकारी कोई भी पक्षकार चिकित्सा विभाग तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में ले सकता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के सचिव श्री प्रवीण मिश्रा द्वारा बताया गया कि उक्त कानून के तहत यदि किसी महिला के अधिकार का हनन होता है,तो उसे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान की जायेगी।

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