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बिना थमे 111 दिन लगातार बिजली उत्पादन का रिकार्ड बनाया हसदेव पॉवर प्लांट के यूनिट 4 ने, 38 साल में पहली बार इतने अधिक दिन बिना थमें चलने का बना कीर्तिमान

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कोरबा । हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम एचटीपीपी की 210 मेगावाट की इकाई क्रमांक चार ने बिना रूके 111 दिन नौ घंटे 53 मिनट से अधिक समय तक लगातार चलने का रिकार्ड बनाया है। एक तरफ 38 साल पुरानी यह यूनिट लगातार बिजली उत्पादन का रिकार्ड बना रही, वहीं नए मड़वा संयंत्र की इकाई रखरखाव में करोडो़ं खर्च के बाद भी एक माह में ही हाफ जाती है।
विद्युत उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम स्थित एचटीपीपी संयंत्र की इस चार नंबर इकाई में एबीएल बायलर एसीसी बेबकाक लिमिटेड, जर्मनी की मशीनें लगी हैं। इस कंपनी के देशभर में स्थापित पुराने संयंत्र इतनी अधिक अवधि तक नहीं चल पाती हैं। इस तकनीक वाले कई प्लांट बंद हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में निरंतर संचालन करना एक बड़ी उपलब्धि है। विद्युत कंपनी के अध्यक्ष अंकित आनंद एवं जनरेशन कंपनी के प्रबंध निदेशक एमडी संजीव कटियार ने इस उपलब्धि के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई देते आगे भी नया रिकार्ड बनाने कहा। एमडी कटियार ने कहा कि कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा टीम भावना के साथ ईमानदारी, निष्ठा और कड़ी मेहनत से किए गए कार्य से यह उपलब्धि हासिल हुई है। कंपनी के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने आगे भी उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने का संकल्प लिया है। यहां बताना होगा कि हसदेव ताप विद्युत गृह में 210-210 मेगावाट की चार यूनिट हैं, जिनकी स्थापना वर्ष 1986 में की गई थी। इसमें से यूनिट क्रमांक चार ने गुरूवार की सुबह 8.34 बजे अपने ही पूर्व स्थापित निरंतर संचालन अवधि के कीर्तिमान 111 दिन नौ घंटे, 53 मिनट को तोडक़र नया कीर्तिमान स्थापित किया।
वर्तमान में यह संयंत्र निरंतर संचालन में है। यह उपलब्धि लगातार मानिटरिंग, उच्च रखरखाव और खास सतर्कता के कारण हासिल हो सकी है। सामान्यत: इतना समय तक चलने पर संयंत्र में मेंटेनेस की जरूरत पड़ जाती थी, इस बार ऐसी स्थिति नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि 210 मेगावाट के एबीएल बायलर को जनरेशन कंपनी में कार्यरत अभियंता व कर्मचारी बहुत अच्छे ढंग से चला रहें हैं। इसके अलावा हसदेव ताप विद्युत गृह के यूनिट क्रमांक-दो से भी 112 दिन, 15 घंटे एवं 6 मिनट तक लगातार विद्युत उत्पादन जारी है एवं यह भी नये कीर्तिमान दर्ज करने की ओर अग्रसर है।
वर्ष 2016 को अटल बिहारी बाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र मड़वा संयंत्र की 500-500 मेगावाट की दोनों इकाइयां स्थापित की गई। इसके बाद से किसी न किसी एक इकाई में तकनीकी खराबी आ रही है। सभी प्रमुख संयंत्र संचालन में सबसे अधिक सालाना खर्च मड़वा संयंत्र में हो रहा है। अन्य संयंत्रों में जहां एएफसी कास्ट सालाना चार से छह करोड़ के बीच है, जबकि मड़वा संयंत्र में एएफसी करीब 1500 करोड़ के करीब है। विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों में तीन हजार करोड़ से अधिक का खर्च इस मद पर हो रहा। इसके बावजूद मड़वा की इकाइयां नियमित तौर पर नहीं चल रही।
गुरूवार को वर्षा नहीं होने से तेज गर्मी का असर दिखाई दिया। इससे एक बार फिर राज्य में बिजली की मांग बढऩे लगी। वर्षा की वजह से राज्य में बिजली की मांग घट कर 3500 मेगावाट के करीब पहुंच गई थी, पर गुरूवार को पीक अवर्स में 4500 मेगावाट की मांग रही। राज्य विद्युत कंपनी के संयंत्रों से 2495 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही थी, वहीं आइपीपी व सीपीपी से बिजली लेकर कुल उपलब्धता 2540 मेगावाट रही। शेष सेंट्रल सेक्टर से मिलने वाली बिजली, उपभोक्ताओं को प्रदान की गई। संभावना जताई जा रही है कि गर्मी बढऩे के साथ ही राज्य में बिजली की मांग पुन:बढ़ेगी।
डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र में 250-250 मेगावाट क्षमता की दो इकाई हैं। संयंत्र ने सर्वश्रेष्ठ उत्पादन कर कई बार रिकार्ड बनाया और देश में प्रथम पांच संयंत्र में भी शामिल रहा। इस बार संयंत्र पिछड़ गया। मार्च माह में संयंत्र की एक नंबर इकाई के टरबाइन में आई खराबी आइ और संयंत्र 25 दिन तक बंद रहा। बीएचइएल ने सुधार कार्य के बाद चालू किया तो 15 दिन में तीन बार इकाई बंद हो गई। इससे एमडी भी चिंतित हो उठे और उन्हें संयंत्र का निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देना पड़ा।

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