Home छत्तीसगढ़ दुनिया की प्रगति में ज्ञान और कौशल की प्रमुख भूमिका है :...

दुनिया की प्रगति में ज्ञान और कौशल की प्रमुख भूमिका है : राज्यपाल श्री डेका , एमिटी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए राज्यपाल , 660 विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोत्तर उपाध वितरित, 17 को पीएचडी की उपाधि से किया सम्मानित

261
0
4 (1)
3 (2)
2 (1)
1 (1)
8 (1)
7 (1)
6 (1)
5 (1)
12 (1)
11 (1)
10 (1)
9 (1)
16 (1)
15 (1)
14 (1)
13 (1)
20 (1)
19 (1)
18 (1)
17 (1)
24
23
22
21
28
27
26
25
32
31
30
29
36
35
34
33
40
39
38
37
4 (1) 3 (2) 2 (1) 1 (1) 8 (1) 7 (1) 6 (1) 5 (1) 12 (1) 11 (1) 10 (1) 9 (1) 16 (1) 15 (1) 14 (1) 13 (1) 20 (1) 19 (1) 18 (1) 17 (1) 24 23 22 21 28 27 26 25 32 31 30 29 36 35 34 33 40 39 38 37

रायपुर । राज्यपाल श्री रमेन डेका आज एमिटी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आज की दुनिया की प्रगति में ज्ञान और कौशल की प्रमुख भूमिका है। उच्च शिक्षा संस्थानों को विचारकों, नेताओं और नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल श्री डेका ने विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को विभिन्न पुरूस्कार एवं 18 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 15 को रजत पदक और 6 को कांस्य पदक प्रदान किए गए। समारोह में वर्ष 2024 बैच के 660 विद्यार्थियों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधियां वितरित की गई। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के वैज्ञानिक डॉ. वी.के. दास और उद्योगपति श्री एस.एन. स्वामी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि सहित 16 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में पी.एच.डी की उपाधि प्रदान की गई।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह दिन सभी स्नातक विद्यार्थियों के लिए वर्षों की कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता का प्रतीक है। यह न केवल आपके लिए बल्कि आपके परिवारों, शिक्षकों और मार्गदर्शकों के लिए भी गर्व का क्षण है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ लंबे समय से ज्ञान, परंपरा और उत्कृष्टता की भूमि रही है। वे स्वयं यह जानकर चकित हैं कि छत्तीसगढ़ का इतिहास रामायण काल से भी पुराना है। इस राज्य ने विज्ञान, साहित्य, संगीत, लोक कला, सिनेमा, खेल और राजनीति में बहुत योगदान दिया है। इसकी एक मजबूत शैक्षणिक, संस्कृति, शिक्षा और अनुसंधान के प्रति गहरी प्रतिबद्धता है।

श्री डेका ने कहा कि भारत विकास और परिवर्तन के एक नए युग की दहलीज पर खड़ा है। प्रौद्योगिकी, उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल बुनियादी ढांचे में प्रगति के साथ, हमारा देश एक वैश्विक नेता बनने के लिए तैयार है और 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लिए अग्रसर है। श्री डेका ने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे नवाचार के बारे में सोचें और उसे अपनाए। भविष्य उन लोगों का है जो हिम्मत करते हैं। सपने देखें और उन सपनों को हासिल करने के लिए अथक परिश्रम करें। भारत को उद्यमियों, शोधकर्ताओं और दूरदर्शी लोगों की जरूरत है, जो नए विचारों और समाधानों के साथ देश को आगे बढ़ा सकें। श्री डेका ने कहा कि भारत हमेशा से बौद्धिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों का देश रहा है। नालंदा और तक्षशिला के प्राचीन विश्वविद्यालयों से लेकर आधुनिक शोध संस्थानों तक, हमारा देश हमेशा ज्ञान सृजन में सबसे आगे रहा है। हमारे महान भारतीय विद्वानों ने गणित, विज्ञान, चिकित्सा और दर्शन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जीवन एक यात्रा है। आप अपने जीवन में आगे बढ़ते रहें और अच्छा करने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि  आप सभी आजीवन सीखने, नैतिक नेतृत्व और समाज की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हो। शिक्षा केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए नहीं है; यह राष्ट्र और दुनिया के प्रति एक जिम्मेदारी है।

श्री डेका ने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाना चाहिए बल्कि यह जीवन की उन्नति का मार्ग है। वे स्वयं शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए प्रयास करते रहेंगें।

इस अवसर पर श्री डेका ने ‘एक पेड़ मां के नाम‘ पर पौधा लगाया।

समारोह में विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोक के .चौहान, अध्यक्ष डॉ. असीम के. चैहान, कुलाधिपति डब्लू सेल्वमूर्ति, कुलपति डॉ. पीयूष कांत पाण्डे, रजिस्ट्रार, फैकल्टी मेंम्बर्स, डीन, प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं एवं उनके परिजन बड़ी संख्या में  उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here