Home छत्तीसगढ़ जशपुर मे 80 प्रकार कि पाई जाती हैं तितलियों की प्रजातियां

जशपुर मे 80 प्रकार कि पाई जाती हैं तितलियों की प्रजातियां

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सर्वेक्षण मे सामने आई तितलियों की प्रजातियां

शोध पत्र का कलेक्टर ने किया विमोचन

संतोष गुप्ता, जशपुर। जशपुर जिले मे 80 प्रकार के तितलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। तितलिययों की यह संख्या एक शोध से प्रमाणित हुई है। जिला प्रशासन द्वारा तितलियों को लेकर कराये गये सर्वेक्षण एवं शोध पत्र का आज कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने विमोचन भी किया। तितलियों के प्रजातियों की जानकारी देेने आज जिला पंचायत के सभागार में कार्यशाला भी आयोजित की गईथी। इस अवसर पर डीएफओ जाधव श्री कृष्ण, जिला पंचायत सीईओ के. एस. मंडावी जशपुर एसडीएम दशरथ सिंह राजपूत, वाईल्ड लाईफ विशेषज्ञ अनुपम सिंह सिसोदिया एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे ।

कार्यषाला में कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने कहा कि तितलियों एवं पंक्षियों के सर्वेक्षण में जशपुर जिले के सभी लोगों का भी सहयोग होना चाहिये जिससे और बेहतर ढंग से सर्वे किया जा सके और उनके संरक्षण की दिशा में काम किया जा सकेगा। कलेक्टर निलेषकुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि जिले में वर्तमान में 80 प्रजातियां देखी गई हैं। उन्होंने बताया कि तितलियो की फोटोग्राफी पर एक प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। यह प्रतियोगिता 15 अक्टूबर के बाद रखी जायेगी। जिसमे प्रथम पुरस्कार 1 लाख , द्वितीय 75 हजार एवं तृतीय पुरस्कार 50 हजार का होगा। जिसके लिए नियम निर्देशिका जल्द जारी किया जाएगा। इन फोटो को संग्रहित कर पुस्तिका भी प्रकाशित किया जाएगा।
कार्यशाला में डीएफओ जाधव श्री कृष्ण बताया कि जिला प्रशासन तितलियों पंक्षियों एवं वन्य जीव के लिए संवेदनशील है। उनके संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है। प्रकृति से जुड़ने का एक नया अवसर लोगों को मिल रहा है इससे जशपुर का नाम होगा । इस दिशा में किये गए प्रयासों से आमलोग भी परिचित हों इसके लिए यह कार्यशाला रखी गई है। जिला प्रशासन द्वारा तितलियों को लेकर कराए गए सर्वेक्षण एवं शोध पत्र के संबंध में विशेषज्ञ अनुपम सिंह सिसोदिया ने जिला पंचायत के सभाकक्ष मे प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी। विशेषज्ञ अनुपम सिंह सिसोदिया ने बताया कि यहां कामन ओनिक्स, इंडिगो फ्लैश तथा स्माल क्यूपिड तितलियों की तीन ऐसी प्रजाति मिली हैं जो अब तक देश के पश्चिमी घाट, हिमालय तराई क्षेत्र और अंडमान निकोबार जैसे इलाकों मे ही पाई जाती हैं।

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