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छत्तीसगढ के इस शासकीय जिला अस्पताल में डे-केयर कीमोथेरेपी से मिली कैंसर पीड़िता को राहत, राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से दूरदराज के मरीजों को राहत की उम्मीद

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रायपुर । प्रदेश के दूरस्थ इलाकों के जरुरतमंद कैंसर पीड़ितों को इलाज के लिए अब निजी अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और आघात रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के अंतर्गत संचालित दीर्घायु वार्ड के तहत डे-केयर कीमोथेरेपी की सुविधा शुरु कर दी गई है। अब प्रदेश में जगदलपुर,  सूरजपुर,  जशपुर,  रायपुर,  नारायणपुर,  दुर्ग, कांकेर, कोंडागांव व कोरिया सहित कुल नौ जिला अस्पतालों में कीमोथेरेपी उपलब्ध रहेगी।
यह सविधा शुरु होने से अब  राजधानी से 150 से 400 किमी दूर से आने वाले आदिवासी क्षेत्रों के कैंसर पीड़ितों को शहर में आने-जाने या ठहरने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा । साथ ही जिला अस्पताल में ही कीमोथेरेपी की व्यवस्था होने से निजी अस्पताल में लगभग 30,000-40,000 रुपए इलाज के खर्च से भी बचत होगी।
डॉ. अंबेडकर अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के एचओडी डॉ. विवेक चौधरी ने कहा, जिला अस्पतालों में डे-केयर कीमोथेरेपी शुरु होने से राजधानी के एम्स व डॉ.अंबेडकर अस्पताल में आने वाले मरीजों के दबाव में कमी आएगी। लॉकडाउन की वजह से मेकाहारा में इन दिनों प्रतिदिन 7,00 की जगह 3,00 मरीज ही पहुंच रहे हैं। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से दूरदराज के मरीजों को काफी राहत की उम्मीद है।
कांकेर जिले के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. जगजीवन लाल उइके ने बताया, जिला अस्पताल में फरवरी-मार्च से ओपीडी में कैंसर की जांच की सुविधाएं प्रारंभ हो गईं है। यहां 6 बेड के डे-केयर आईपीडी वार्ड की व्यवस्था की गई है। कैंसर मरीजों की पहचान होने के लिए बायोप्सी जांच डॉ. अंबेडकर अस्पताल से कराई जाती है। रिपोर्ट आने के बाद मरीज के काउंसिलिंग कर चिकित्सकों एवं स्टाफ नर्सों के देखरेख में कीमोथेरेपी का डोज दिया जाता है।
एनसीडी के जिला नोडल डॉ. एल. के. देव ने बताया, शासकीय कोमलदेव जिला अस्पताल कांकेर के कैंसर ओपीडी में अब तक लगभग 60 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो गया है। उनमें से 30 मरीजों में कैंसर रोग के लक्षण पाए गए है एवं अन्य मरीजों को बायोप्सी जांच की सलाह दी गयी है। अस्पताल में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने पर कीमोथेरपी दी जा रही है। डॉ. देव ने बताया लोगों में कैंसर रोग के प्रति जागरुकता लाने के लिए समय से लक्षणों की पहचान जरुरी है, ताकि लोग चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए अपने नजदीकी सामुदायिक,  प्राथमिक, उप स्वास्थ्य केंद्र व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जा सकें।
डे-केयर कीमोथेरेपी का लाभ ले रही अंतागढ़ निवासी हितग्राही शकुनतला (मरीज का बदला हुआ नाम)  बताती हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की जानकारी राजधानी के निजी अस्पताल के डॉक्टरों से मिली। इसके बाद प्रथम कीमोथेरेपी निजी अस्पताल में लगवाया गया। वहीं डॉक्टरों ने 21 दिन बाद दूसरी कीमोथेरेपी का समय दिया था। लेकिन पैसे नहीं होने से राजधानी नहीं जा सकी। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने पर कांकेर जिला अस्पताल में डे-केयर सुविधा की जानकारी मिली। जिला अस्पताल की प्रशिक्षित स्टॉफ सिविल सर्जन डॉ. आरसी ठाकुर, डॉ. एलके देव, डॉ. राजेश रामटेके, स्टॉफ नर्स संगीता गाइन व आरती नेवला की टीम के देखरेख में 3 बार कीमोथेरेपी से इलाज का लाभ 21-21 दिन बाद ले रही हैं। डॉ. राजेश रामटेके ने बताया पीड़ित महिला को ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है। कीमोथेरेपी के पश्चात मरीज को सर्जरी करने की सलाह दी गई ह है।

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