रतनपुर ( बिलासपुर) । नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन नवमी तिथि पर परंपरा अनुसार रतनपुर मां महामाया मंदिर में देवी का राजशी श्रृंगार किया गया। सुबह 6:30 बजे देवी के राजषी श्रृंगार के बाद ही मंदिर के कपाट खोले गए। देवी को परंपरा अनुसार चंद्रहार, पटिया, धार नथनी मुकुट छत्र कुंडल समेत नौ प्रकार के हार कंगन नथ आदि धारण कराया गया। पूजा अर्चना के पश्चात देवी मां को राजषी नैवेध समर्पित किया गया। इसके बाद मंदिर में कन्या भोज और ब्राह्मण भोज का भी आयोजन किया गया। नवमी तिथि पर ज्योति कलश रक्षकों को भोज करा कर उन्हें दक्षिणा प्रदान किया गया।
नवमी तिथि पर परंपरा अनुसार पुजारी द्वारा ज्योति कलश कक्ष में प्रज्वलित मनोकामना ज्योति कलश की पूजा अर्चना कर मंत्रोच्चार के साथ ज्योति विसर्जित की जाएगी। महा नवमी तिथि पर देवी के राजषी श्रृंगार रूप के दर्शन करने के लिए सुबह से ही भक्त मंदिर में उमड़ पड़े ।
वर्ष में दो नवरात्र के अलावा दशहरा, दीपावली और धनतेरस पर महामाया देवी का इसी तरह का श्रृंगार किया जाता है।
महामाया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष ठाकुर ने बताया कि नवमी तिथि के अवसर पर माँ महा माया देवी का साढ़े तीन किलो सोने के आभूषणों के साथ राजसी सिंगार किया गया जिसमे माँ महामाया देवी का सिद्धिदात्री स्वरूप में स्वर्ण मुकुट,रानी हार,कुंडल, करधन, पायल सोला सिंगार के साथ कुल साड़े तीन किलो सोने के आभूषणों से महामाया देवी का राजसी श्रृंगार सुबह पांच बजे किया गया। सिद्धिदात्री स्वरूप में माँ के इस दिव्य रूप को देखने मंगलवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं का महामाया मंदिर रतनपुर में तांता लगा हुआ है। इस अवसर पर माँ महामाया को 12 बजे 56 प्रकार के नैवैद्य भी अर्पित किये गए तथा सामूहिक पुष्पांजलि अर्पित कर विश्व कल्याण की कामना की गई। इसी के साथ मंदिर में सहस्त्र धारा कन्या भोज व ब्रम्ह भोज के साथ शारदीय नवरात्रि पर्व का समापन हुआ।इससे पहले 26 सितंबर 2022से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी तिथि पर देवी महामाया की विशेष पूजा के बाद हवन कर पूर्णाहुति दी गई।सिद्धिदात्री स्वरूप में माँ के इस दिव्य रूप को देखने मंगलवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं का महामाया मंदिर रतनपुर में तांता लगा हुआ है। । इसी के साथ मंदिर में सहस्त्र धारा कन्या भोज व ब्रम्ह भोज के साथ शारदीय नवरात्रि पर्व का समापन हुआ।