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कभी शिक्षक विहीन रहे प्राथमिक शाला कलिबा में अब बहेगी ज्ञान की गंगा,शासन ने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए युक्तियुक्तकरण द्वारा की शिक्षकों की नियुक्ति

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जशपुर। शिक्षा हर बच्चे का दिल और आत्मा है। शिक्षा के बिना किसी बच्चे का जीवन अधूरा है। शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम सीखते हैं, ज्ञान, कौशल और आदतें हासिल करते हैं। इसे औपचारिक और अनौपचारिक रूप से किसी भी अनुभव के साथ लिया जा सकता है जो इसे शैक्षिक उद्देश्य बनाने के लिए मूल्यवान बनाता है। प्रीस्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षा के विभिन्न चरण होते हैं, परन्तु प्राथमिक शिक्षा किसी बच्चे के जीवन में नींव की भांति कार्य करता है जो उसके पूरे जीवन को दिशा प्रदान करता है। ऐसे में यदि किसी विद्यालय में शिक्षक ही ना हो तो वहां के बच्चों को अपने जीवन के आधार निर्माण में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा ही कुछ जशपुर के कुनकुरी विकासखण्ड के ग्राम कलिबा के प्राथमिक शाला का हाल था। जहां बच्चों की दर्ज संख्या तो 41 थी पर शिक्षकों की संख्या शून्य।

ऐसी स्थितियों को सुधारने के लिए ही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा युक्तियुक्तकरण द्वारा शिक्षकों और बच्चों का अनुपात बेहतर करते हुए समावेशी उत्कृष्ट शिक्षा के लिए कार्य किया जा रहा है। जिसके तहत विभाग द्वारा कलिबा की स्थिति में सुधार के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की मुहिम प्रारंभ की गई। जहां सहायक शिक्षकों की काउंसिलिंग की प्रक्रिया की गई। सहायक शिक्षकों में से 02 सहायक शिक्षकों ने वहां के बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए कलिबा में जा कर अपनी सेवाएं देने पर सहर्ष सहमति व्यक्त की।

इस संबंध में प्राथमिक शाला कलिबा में नवनियुक्त श्रीमती आशा केरकेट्टा ने बताया कि मेरी पदस्थापना पूर्व में प्राथमिक शाला वनकोम्बो में थी। जहां 40 बच्चों पर 03 शिक्षक थे और कलिबा में 41 बच्चों में एक भी शिक्षक नहीं था। जिसमें उनकी शिक्षा और बेहतर भविष्य के लिए जब मुझे कलिबा में सहायक शिक्षक के रूप में कार्य करने के अवसर के संबंध में जानकारी हुई तो मुझे बहुत हर्ष हुआ कि मैं उन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अब कार्य कर सकूँगी। मुझे शासन की युक्तियुक्तकरण योजना के संबंध के यह बात बहुत अच्छी लगी कि ऐसे स्कूल जहां बच्चों और शिक्षकों का अनुपात कम है वहां अब शिक्षकों के आ जाने से अब शिक्षा का स्तर ऊंचा उठेगा और बच्चों में ज्ञान की गंगा का सतत प्रवाह होगा। बच्चों को जीवन सफल बनाने के लिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर हम अपने कर्तव्य का अच्छे से निर्वहन कर सकेंगे।

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