Home छत्तीसगढ़ कांटाबेल के किसानों को मिली कन्वर्जेंस से चाय बागान की सौगात, इंटरक्राॅपिंग...

कांटाबेल के किसानों को मिली कन्वर्जेंस से चाय बागान की सौगात, इंटरक्राॅपिंग के जरिए होगी मशाले की खेती, आर्गेनिक चाय के उत्पादन के लिए गौशाला की भी होगी स्थापना

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संतोष गुप्ता ,जशपुर ।जशपुर जिले में चाय की खेती को बढ़ावा देने तथा किसानों को इसके जरिए आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के उद्देश्य से कन्वर्जेंस के माध्यम से मनोरा ब्लाॅक के ग्राम कांटाबेल में एक अभिनव पहल शुरू की गई है। कांटाबेल में लगभग डेढ़ सौ एकड़ में चाय एवं काॅफी का बागान विकसित किए जाने की कार्ययोजना पर अमल शुरू किए जाने के साथ ही यहां गौशाला की स्थापना कर गोबर गैस, वर्मी खाद एवं गौमूत्र से पेस्टीसाइट तैयार किए जाने की योजना बनाई गई है। यह प्रोजेक्ट वन विभाग के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। मनरेगा एवं वन विभाग के सहयोग से कांटाबेल में चाय और काॅफी बागान विकसित किया जाएगा, जबकि कृषि, उद्यानिकी, क्रेडा एवं पशु चिकित्सा विभाग समन्वित रूप से यहां अंतरवर्तीय खेती, पशु पालन, मसालों एवं फलदार पौधों के रोपण, गोबर गैस प्लांट, वर्मी कम्पोस्ट आदि के उत्पादन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।


कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने कांटाबेल पहुंचकर यहां प्रारंभिक चरण में 40 एकड़ में चाय बागान विकसित किए जा रहे चाय बागान का अवलोकन किया। कांटाबेल में पहाड़ी की तलहटी में स्थित 21 किसानों की उबड़-खाबड़ एवं अनुपजाऊ भूमि में यह चाय बागान लगाया जा रहा है। यह भूमि स्वामी किसानों के दो स्व स्व-सहायता समूह गठित कर किए जा रहे हैं। महिलाओं का रौशन स्व-सहायता समूह तथा पुरूष किसानों का गोपाल स्व-सहायता समूह कांटाबेल में चाय बागान तैयार करने में वन विभाग के साथ जुटा हुआ है। कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने चाय बागान के रोपण कार्य में जुटे किसानों से बातचीत की। महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती इंद्रावती बाई ने बताया कि उनकी बेकार पड़ी भूमि पर चाय बागान विकसित किए जाने से सभी किसानों को रोजी-मजदूरी मिलने के साथ ही चाय का उत्पादन शुरू होने के बाद लाभांश भी मिलेगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। वनमण्डलाधिकारी जाधव श्री कृष्ण ने बताया कि कांटाबेल में 40 एकड़ में विकसित किए जा रहे चाय बागान में इंटरक्राॅपिंग के जरिए काली मिर्च, दाल चीनी, तेजपत्ता, हल्दी आदि की खेती के साथ ही फलदार एवं औषधी पौधों का भी रोपण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दाल चीनी और काली मिर्च का पौधा तथा हल्दी का बेहतर क्वालिटी का बीज कोराकूट सेंटर से मंगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यहां चाय की खेती में किसी भी तरह की रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाएगा। यहां चाय एवं मशाले की खेती आॅर्गेनिक होगी। इसके लिए कांटाबेल में ही ग्रामीण एवं किसानो के सहयोग से गौशाला की स्थापना की जाएगी। यहां साहीवाल एवं गिर नस्ल की गायों का पालन होगा। गौशाला से प्राप्त गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, गोबरगैस तथा गौमूत्र से पेस्टीसाईट तैयार किए जाएगें जिसका उपयोगा चाय बागान में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर किया जाएगा।

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