जशपुर । महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मे मजदूरी करने वाले ग्रामीणो को जिले के कई ग्राम पंचायतो मे वर्षो बीत जाने के बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाता है। खून-पसीना बहाने के बाद भी ऐसे मजदूरो को मजदूरी का भुगतान पाने के लिये संबंधित कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ रहा है। जशपुर जिले के नागलोक के नाम से प्रसिदद्ध फरसाबहार जनपद के तपकरा ग्राम पंचायत से लगे जबला ग्राम पंचायत के एक मजदूर को 72 दिनो का मजदूरी चार माह बाद भी नहीं मिल पाया है। मजदूर राजकुमार ने बताया कि दिसम्बर 2019 मेग्राम पंचायत जबला मे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत फिरन साय के जमीन मे डबरी निर्माण हुआ था। इस निर्माण कार्य मे गांव के कई लोग मजदूरी किये थे,वह भी अपनी पत्नी के साथ मजदूरी किया था। राजकुमार ने बताया कि 72 दिनो कि मजदूरी उसे चार माह बाद भी नहीं मिल पाया है। उसने यह भी बताया कि उसके अलावा और भी मजदूर हैं जिन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है। वर्तमान मे 20 अप्रेल से जनोहर साय के जमीन मे डबरी निर्माण कराया जा रहा है। पिछला मजदूरी भुगतान नहीं हो पाने कि वजह से वह जनोहर साय के डबरी निर्माण मे मजदूरी नहीं कर रहा है। जबला पंचायत मे फिरन साय व राजेन्द्र बखला के जमीन मे डबरी निर्माण कराया गया है जो अधूरा है। अधूरे निर्माण की वजह से यह डबरी उपयोग के लायक नहीं है। जबलाग्राम पंचायत के अलावा फरसाबहार जनपद के कई ग्राम पंचायतो मे डबरी का निर्माण कराया गया है जो अनउपयोगी साबीत हो रहे हैं। पिछले कुछ सालो से जशपुर जिले मे जलसंवर्धन के लिये भारी संख्या मे डबरी का निर्माण कराया गया है, इसकी सूक्ष्म जांच की जाये तो कई अधिकारियों व कर्मचारियो पर गाज गीर सकती है।
निर्माण स्थल पर नहीं लगाया जाता सूचना पटल
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बन रहे डबरी व अन्य निर्माण स्थलो पर सूचना पटल लगाने का नियम है लेकिन अधिकांश निर्माण स्थलो पर सूचना पटल नहीं लगाया जाता है। सूचना पटल मे लागत राशि, हितग्राही का नाम, मजदूरी दर ईत्यादि का उल्लेख होता है जिसके लिये छह हजार राशि भी आबंटित होता है। जानबूझकर निर्माण स्थल पर नागरिक सूचना पटल नहीं लगाया जाता है ताकि लोग अनभिज्ञ रहें।